CBSE Class 12th, 10th Result 2017: बच्चों पर अच्छे अंकों का दबाव न बनाएं.
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के 12वीं के छात्रों को नतीजों के लिए थोड़ा और इंतजार करना पड़ सकता है. अब हाई कोर्ट के निर्देश के बाद छात्रों के मार्क्स को एडजस्ट करने में समय लगेगा, जिस कारण रिजल्ट लेट हो जाएगा. हालांकि सीबीएसई ने 12वीं क्लास के रिजल्ट जारी करने की तारीख और समय को लेकर अभी कोई अधिसूचना जारी नहीं की है. बहरहाल रिजल्ट को लेकर छात्रों और उनके परिजनों में सरगर्मी और बेचैनी तो है ही. लेकिन इस पर नियंत्रण करना भी परिजन और छात्रों के ही हाथ में है.
रिजल्ट आने के इस दबाव से लेकर रिजल्ट आ जाने के बाद तक कुछ बातों का ध्यान छात्रों और परिजनों को रखना चाहिए, जिससे की छात्रों के बेहतर भविष्य तैयार किए जा सकें-
न बनाएं दबाव
परिणाम आने से पहले परिजनो को चाहिए कि वे बच्चे पर बार बार अच्छे नंबर लाने या न आने पर होने वाली खराब स्थिति का जिक्र न करें. परिजनों को बच्चों में आत्मविश्वास भरना चाहिए. उन पर अच्छे अंक लाने का दबाव देने के बजाए उनसे उनके भविष्य के विकल्पों के बारे में बात करनी चाहिए. ठीक इसी तरह छात्रों को भी मन में अधिक दबाव महसूस करने की जरूरत नहीं है. खुद को यह समझाएं कि परिणा जैसा भी होगा या आया है, आपके लिए कोई न कोई विकल्प तो लाया ही होगा.
हताशा कतई जाहिर न करें
आज हर परिजन अपने बच्चे से बहुत ज्यादा अपेक्षाएं लगा लेता है. ऐसा न करें. ऐसा करके आप बच्चे पर दबाव बढ़ाते हैं. रिजल्ट अगर आपकी उम्मीद जैसा नहीं आया, तो बच्चे को गुस्सा न करें न ही उसे अपनी हताशा जाहिर करें. यह आपके बच्चे को दबाव और तनाव में ला सकती है. इससे वह खुद को कमतर और कमजोर मान सकता है. इसलिए रिजल्ट जैसा भी रहा हो, बच्चे के सामने अत्यधिक हताशा न दिखाएं.
परिणाम के अनुसार प्लान करें
हो सकता है कि परिणाम आपकी इच्छा के अनुसार आए हों. यह तो बहुत ही अच्छी खबर है. लेकिन अगर आपके बच्चे के अंक उस अनुपात में नहीं आए, जिसमें कि आप या खुद बच्चा चाहता था, तो भी निराश होने की जरूरत नहीं. उसके अंकों और रूचि को ध्यान में रखकर उसके लिए भविष्य प्लान करें.
तुलना न करें
अगर आपके बच्चे के किसी दोस्त के अंक उससे ज्यादा अच्छे आए हैं, तो भी उसकी तुलना कर बच्चे को छोटा या दोयम महसूस न कराएं. हर बच्चे की अपनी क्षमताएं अपने क्षेत्र होते हैं, जिनमें वे अच्छा या बुरा प्रदर्शन करते हैं. इसलिए बच्चे की तुलना कर उसमें इस प्रवृति को पनपने न दें कि कोई उससे ज्यादा बेहतर है या वह किसी से कमतर है...
एहसान न जताएं
अक्सर देखने में आता है कि माता-पिता बच्चे के भविष्य को लेकर बहुत ज्यादा पैसा लगाते हैं. वे महंगे से महंगे ट्यूशन या क्लासेज में उनको भेजते हैं. खुद अफॉर्ड कर पाएं या न कर पाएं वे हर हाल में बच्चों की शिक्षा पर अपने बजट से बाहर निकल कर खर्च करते हैं. ऐसे में परिणाम इच्छा के अनुसार न आने पर निराश और हताश होना माता-पिता के लिए स्वाभाविक सी बात है. लेकिन इसका एहसान अपने बच्चे पर दिखाएं. उसे बार बार यह एहसास न दिलाएं कि आपने उस पर कितना पैसा खर्च किया है.
रिजल्ट आने के इस दबाव से लेकर रिजल्ट आ जाने के बाद तक कुछ बातों का ध्यान छात्रों और परिजनों को रखना चाहिए, जिससे की छात्रों के बेहतर भविष्य तैयार किए जा सकें-
न बनाएं दबाव
परिणाम आने से पहले परिजनो को चाहिए कि वे बच्चे पर बार बार अच्छे नंबर लाने या न आने पर होने वाली खराब स्थिति का जिक्र न करें. परिजनों को बच्चों में आत्मविश्वास भरना चाहिए. उन पर अच्छे अंक लाने का दबाव देने के बजाए उनसे उनके भविष्य के विकल्पों के बारे में बात करनी चाहिए. ठीक इसी तरह छात्रों को भी मन में अधिक दबाव महसूस करने की जरूरत नहीं है. खुद को यह समझाएं कि परिणा जैसा भी होगा या आया है, आपके लिए कोई न कोई विकल्प तो लाया ही होगा.
हताशा कतई जाहिर न करें
आज हर परिजन अपने बच्चे से बहुत ज्यादा अपेक्षाएं लगा लेता है. ऐसा न करें. ऐसा करके आप बच्चे पर दबाव बढ़ाते हैं. रिजल्ट अगर आपकी उम्मीद जैसा नहीं आया, तो बच्चे को गुस्सा न करें न ही उसे अपनी हताशा जाहिर करें. यह आपके बच्चे को दबाव और तनाव में ला सकती है. इससे वह खुद को कमतर और कमजोर मान सकता है. इसलिए रिजल्ट जैसा भी रहा हो, बच्चे के सामने अत्यधिक हताशा न दिखाएं.
परिणाम के अनुसार प्लान करें
हो सकता है कि परिणाम आपकी इच्छा के अनुसार आए हों. यह तो बहुत ही अच्छी खबर है. लेकिन अगर आपके बच्चे के अंक उस अनुपात में नहीं आए, जिसमें कि आप या खुद बच्चा चाहता था, तो भी निराश होने की जरूरत नहीं. उसके अंकों और रूचि को ध्यान में रखकर उसके लिए भविष्य प्लान करें.
तुलना न करें
अगर आपके बच्चे के किसी दोस्त के अंक उससे ज्यादा अच्छे आए हैं, तो भी उसकी तुलना कर बच्चे को छोटा या दोयम महसूस न कराएं. हर बच्चे की अपनी क्षमताएं अपने क्षेत्र होते हैं, जिनमें वे अच्छा या बुरा प्रदर्शन करते हैं. इसलिए बच्चे की तुलना कर उसमें इस प्रवृति को पनपने न दें कि कोई उससे ज्यादा बेहतर है या वह किसी से कमतर है...
एहसान न जताएं
अक्सर देखने में आता है कि माता-पिता बच्चे के भविष्य को लेकर बहुत ज्यादा पैसा लगाते हैं. वे महंगे से महंगे ट्यूशन या क्लासेज में उनको भेजते हैं. खुद अफॉर्ड कर पाएं या न कर पाएं वे हर हाल में बच्चों की शिक्षा पर अपने बजट से बाहर निकल कर खर्च करते हैं. ऐसे में परिणाम इच्छा के अनुसार न आने पर निराश और हताश होना माता-पिता के लिए स्वाभाविक सी बात है. लेकिन इसका एहसान अपने बच्चे पर दिखाएं. उसे बार बार यह एहसास न दिलाएं कि आपने उस पर कितना पैसा खर्च किया है.
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