
बिहार की नौकरियों में स्थानीय अभ्यर्थियों के लिए अधिक सीटें आरक्षित किए जाने की राज्य के राजनीतिक दलों की मांग के बीच राज्य सरकार ने बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) से सहायक प्रोफेसर (Assistant Professor) के पद पर भर्ती करने पर रोक लगाने कहा है। शिक्षा मंत्री अशोक कुमार चौधरी ने बताया कि राज्य सरकार ने बीपीएससी को प्रदेश के विश्वविद्यालयों में विभिन्न विषयों के nfS सहायक प्रोफेसर के पद पर भर्ती के लिए जारी साक्षात्कार पर रोक लगाने को कहा है।
बीपीएससी के सचिव प्रभात कुमार सिन्हा ने कहा कि आयोग राज्य सरकार के निर्देश का सम्मान करेगा। उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन्हें अभी तक पत्र प्राप्त नहीं हुआ है लेकिन जो सरकार का निर्देश होगा उसका अनुपालन किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद ने प्रदेश की सरकारी नौकरियों तथा राज्य के अधीनस्थ शिक्षण संस्थानों में स्थानीय लोगों को 80 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की मांग करते हुए यह बात उठायी थी कि अंग्रेजी विषय के सहायक प्रोफेसर की बहाली में अधिकतर बाहरी अभ्यर्थी चयनित हुए हैं। बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने लालू की मांग की वकालत करते हुए नीतीश सरकार से सहायक प्रोफेसर की जारी भर्ती पर तत्काल रोक लगाने और यूजीसी के 2009 के दिशानिर्देश को लागू करने की मांग की थी ताकि उस समय तक पीएचडी कर चुके प्रदेश के 35000 अभ्यर्थियों को इस साक्षात्कार में शामिल होने का अवसर मिल सके।
गत तीन अगस्त को बिहार विधान परिषद में शिक्षा मंत्री ने घोषणा की थी कि सहायक प्रोफेसर की जारी भर्ती पर रोक लगाने के लिए सरकार विधिक परामर्श लेकर निर्णय लेगी। शिक्षा मंत्री चौधरी ने हालांकि यह स्पष्ट किया कि सहायक प्रोफेसर के विभिन्न पदों के लिए जो साक्षात्कार हो चुके हैं वे, साक्षात्कार को रोके जाने के इस निर्णय से प्रभावित नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने आयोग से जिन विषयों में साक्षात्कार पूरे हो गए हैं, उनके बारे में जानकारी मांगी है।
बीपीएससी द्वारा प्रदेश के विश्वविद्यालयों में विभिन्न विषयों के 3345 पदों के लिए साक्षात्कार लिये जा रहे हैं। बीपीएससी ने मैथली और अंग्रेजी विषयों के रिजल्ट जारी कर दिए हैं। मैथिली विषय में चयनित अभ्यर्थियों ने उन्हें आवंटित किए गए कॉलेजों में अपना योगदान भी दे दिया है। जिन अन्य विषयों के साक्षात्कार संपन्न हो गए हैं उनमें भौतिकी, अर्थशास्त्र, दर्शनशास्त्र, मनोविज्ञान और रसायनशास्त्र शामिल हैं।
गत जुलाई महीने में जारी यूजीसी के दिशा-निर्देश के अनुसार, वर्ष 2009 तक पीएचडी की डिग्री हासिल कर लेने वाले अभ्यर्थी साक्षात्कार देने के लिए पात्र हो सकते हैं। मंत्री ने कहा कि नए सिरे से भर्ती की प्रक्रिया यूजीसी 2009 अधिनियम में किए गए संशोधन के आधार पर शुरू की जाएगी। यह पूछे जाने पर कि यह भर्ती की प्रक्रिया कब तक पूरी कर ली जाएगी, उन्होंने कहा कि सहायक प्रोफेसर की रिक्तियां 7000 से 9000 तक जा सकती है और विश्वविद्यालयों से कहा गया है कि वे शीध्र अपने-अपने यहां रिक्त पदों के बारे में जानकारी उपलब्ध करा दें।
बीपीएससी के सचिव प्रभात कुमार सिन्हा ने कहा कि आयोग राज्य सरकार के निर्देश का सम्मान करेगा। उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन्हें अभी तक पत्र प्राप्त नहीं हुआ है लेकिन जो सरकार का निर्देश होगा उसका अनुपालन किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद ने प्रदेश की सरकारी नौकरियों तथा राज्य के अधीनस्थ शिक्षण संस्थानों में स्थानीय लोगों को 80 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की मांग करते हुए यह बात उठायी थी कि अंग्रेजी विषय के सहायक प्रोफेसर की बहाली में अधिकतर बाहरी अभ्यर्थी चयनित हुए हैं। बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने लालू की मांग की वकालत करते हुए नीतीश सरकार से सहायक प्रोफेसर की जारी भर्ती पर तत्काल रोक लगाने और यूजीसी के 2009 के दिशानिर्देश को लागू करने की मांग की थी ताकि उस समय तक पीएचडी कर चुके प्रदेश के 35000 अभ्यर्थियों को इस साक्षात्कार में शामिल होने का अवसर मिल सके।
गत तीन अगस्त को बिहार विधान परिषद में शिक्षा मंत्री ने घोषणा की थी कि सहायक प्रोफेसर की जारी भर्ती पर रोक लगाने के लिए सरकार विधिक परामर्श लेकर निर्णय लेगी। शिक्षा मंत्री चौधरी ने हालांकि यह स्पष्ट किया कि सहायक प्रोफेसर के विभिन्न पदों के लिए जो साक्षात्कार हो चुके हैं वे, साक्षात्कार को रोके जाने के इस निर्णय से प्रभावित नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने आयोग से जिन विषयों में साक्षात्कार पूरे हो गए हैं, उनके बारे में जानकारी मांगी है।
बीपीएससी द्वारा प्रदेश के विश्वविद्यालयों में विभिन्न विषयों के 3345 पदों के लिए साक्षात्कार लिये जा रहे हैं। बीपीएससी ने मैथली और अंग्रेजी विषयों के रिजल्ट जारी कर दिए हैं। मैथिली विषय में चयनित अभ्यर्थियों ने उन्हें आवंटित किए गए कॉलेजों में अपना योगदान भी दे दिया है। जिन अन्य विषयों के साक्षात्कार संपन्न हो गए हैं उनमें भौतिकी, अर्थशास्त्र, दर्शनशास्त्र, मनोविज्ञान और रसायनशास्त्र शामिल हैं।
गत जुलाई महीने में जारी यूजीसी के दिशा-निर्देश के अनुसार, वर्ष 2009 तक पीएचडी की डिग्री हासिल कर लेने वाले अभ्यर्थी साक्षात्कार देने के लिए पात्र हो सकते हैं। मंत्री ने कहा कि नए सिरे से भर्ती की प्रक्रिया यूजीसी 2009 अधिनियम में किए गए संशोधन के आधार पर शुरू की जाएगी। यह पूछे जाने पर कि यह भर्ती की प्रक्रिया कब तक पूरी कर ली जाएगी, उन्होंने कहा कि सहायक प्रोफेसर की रिक्तियां 7000 से 9000 तक जा सकती है और विश्वविद्यालयों से कहा गया है कि वे शीध्र अपने-अपने यहां रिक्त पदों के बारे में जानकारी उपलब्ध करा दें।
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