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This Article is From Mar 20, 2016

विदेशी मेडिकल डिग्री वाले 77 फीसदी भारतीय एमसीआई की जांच परीक्षा में फेल

विदेशी मेडिकल डिग्री वाले 77 फीसदी भारतीय एमसीआई की जांच परीक्षा में फेल
नयी दिल्ली: पिछले 12 सालों में विदेशों से मेडिकल की डिग्री लेकर लौटे औसतन 77 फीसदी भारतीय छात्र ‘मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया’ (एमसीआई) द्वारा आयोजित अनिवार्य जांच परीक्षा पास करने में नाकाम रहे।

देश के बाहर के किसी चिकित्सा संस्थान से ‘प्राइमरी मेडिकल क्वालिफिकेशन’ की डिग्री लेने वाला कोई नागरिक अगर एमसीआई में या किसी राज्य की चिकित्सा परिषद में प्राविजनल या स्थायी रूप से पंजीकरण कराना चाहता है तो उसे एमसीआई द्वारा राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड (नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन्स - एनबीई) के माध्यम से संचालित जांच परीक्षा उत्तीर्ण करने की जरूरत होती है। यह जांच परीक्षा ‘फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एग्जामिनेशन’ (एफएमजीई) कहलाती है।

आरटीआई कानून के अंतर्गत एनबीई द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2004 में एमसीआई द्वारा संचालित परीक्षा में सफल उम्मीदवारों की संख्या 50 फीसदी से अधिक थी जो बाद के सालों में घटती चली गई और एक बार तो यह प्रतिशत केवल 4 रहा। सितंबर 2005 में इस परीक्षा में सफल छात्रों का प्रतिशत 76.8 था जो सर्वाधिक था। तब इस परीक्षा में 2,851 छात्र बैठे और 2,192 छात्र पास हुए थे।

मार्च 2008 में परीक्षा देने वाले 1,851 छात्रों में से 1,087 छात्र पास हुए और यह प्रतिशत 58.7 रहा।

वर्ष 2015 में हुए परीक्षा के दो सत्रों में केवल 10.4 फीसदी और 11.4 फीसदी छात्र ही उत्तीर्ण हुए।

पिछले साल जून में 5,967 फीसदी छात्र परीक्षा में बैठे लेकिन पास होने वालों की संख्या केवल 603 थी। दिसंबर में परीक्षा देने वाले 6,407 छात्रों में से केवल 731 छात्र ही पास हो पाए।

उत्तीर्ण होने वाले छात्रों का प्रतिशत 20 फीसदी 
बीते 12 साल में ज्यादातर सत्रों में उत्तीर्ण होने वाले छात्रों का प्रतिशत 20 फीसदी के आसपास ही रहा। परीक्षा आयोजित करने वाले निकाय से मिले आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2014 में 5,724 परीक्षार्थियों में से केवल 282 छात्र ही उत्तीर्ण हुए और यह प्रतिशत चार फीसदी था। एफएमजीई के एक प्रश्नपत्र में बहुविकल्प वाले 300 प्रश्न, अंग्रेजी भाषा में एक सही जवाब वाले प्रश्न होते हैं जो दो हिस्से में 150-150 मिनट के होते हैं। यह परीक्षा एक ही दिन में ली जाती है।

एक अन्य आंकड़े के अनुसार, एमसीआई ने कहा कि वर्ष 2012 से 2015 के बीच उसने भारत के बाहर से ‘प्राइमरी मेडिकल क्वालिफिकेशन’ हासिल करने के इच्छुक भारतीय नागरिकों को 5,583 ‘योग्यता प्रमाणपत्र’ जारी किए।

इस माह के शुरू में संसद की एक स्थायी समिति की रिपोर्ट में कहा गया था कि ‘दुनिया भर में सर्वाधिक संख्या में मेडिकल कॉलेज होने के बावजूद भारत में इंडियन मेडिकल रजिस्टर में वर्तमान में 9.29 लाख डॉक्टर पंजीकृत हैं और भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार, डॉक्टर और आबादी का अनुपात 1:1000 का लक्ष्य हासिल करने में पीछे है।’’ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पर राज्यसभा की समिति ने आठ मार्च को पेश रिपोर्ट में पर्याप्त संख्या में और अपेक्षित गुणवत्ता वाले डॉक्टर तैयार करने की वर्तमान व्यवस्था की असफलता, स्नातक एवं स्नातकोत्तर शिक्षा में समुचित नियमन न होने के कारणों के बारे में बताया है।

विदेशी चिकित्सा स्नातकों की स्क्रीनिंग परीक्षा एनबीई ने वर्ष 2002 से शुरू की। इससे पहले एफएमजीएस की कोई परीक्षा नहीं होती थी।

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