किसानों की ऋण माफी योजना में कथित अनियमितताओं को लेकर विपक्ष द्वारा सरकार पर निशाना साधे जाने के बीच प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने चूककर्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई किए जाने का आज संसद में आश्वासन दिया।
प्रधानमंत्री ने यह आश्वासन राज्यसभा में उस समय दिया जब भाजपा ने किसानों की ऋण माफी योजना संबंधी कैग (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) रिपोर्ट का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि यह घोटाला है।
विपक्षी सदस्यों के हंगामे पर प्रधानमंत्री ने कहा कि ऋण माफी योजना पर कैग रिपोर्ट का जिक्र किया गया है। उन्होंने कहा कि सामान्य प्रक्रिया के तहत यह मामला लोक लेखा समिति को सौंपा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर कोई अनियमितता हुई है, जैसा बताया गया है, तो वह सदन को आश्वस्त करते हैं कि हम चूककर्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे।
प्रधानमंत्री की इस टिप्पणी के पूर्व भाजपा के रवि शंकर प्रसाद ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाया।
प्रधानमंत्री के जवाब से असंतुष्ट भाजपा सदस्य आसन के समीप आ गए और उपसभापति पीजे कुरियन ने कार्यवाही 12 बजकर करीब 12 मिनट पर 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी।
इसके पूर्व प्रसाद ने कहा कि कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि लाखों ऐसे किसानों को इस योजना का लाभ मिला जो इसके हकदार नहीं थे वहीं लाखों किसान पात्र होने के बावजूद इसके लाभ से वंचित रह गए।
उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट घोटाला का मामला है। इसमें बैंकों के अधिकारियों ने बिचौलियों के साथ मिलकर किसानों के पैसे की गड़बड़ी की।
सुषमा ने कहा कि कैग की रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जो शर्मनाक हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने आम चुनाव से एक साल पहले वर्ष 2008 में 65 हजार करोड़ रुपये की किसान ऋण माफी योजना का ऐलान किया था। उन्होंने कहा कि 15 जनवरी 2013 को भारतीय रिजर्व बैंक ने सर्कुलर जारी कर 15 दिनों के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई।
सुषमा ने इसे गंभीर मुद्दा बताते हुए कहा कि देश इस घटना से शर्मसार हुआ है। संवेदनहीनता इतनी बढ़ गई कि किसानों को मिलने वाले थोड़े-थोड़े पैसे भी अधिकारी डकार गए। उन्होंने मामले का सच सामने लाने के लिए इस पर सदन में ठोस चर्चा की मांग की।
समाजवादी पार्टी के रेवती रमण सिंह ने इसे गंभीर मामला बताते हुए कहा कि योजना का मकसद किसानों की आत्महत्याओं के बढ़ते मामलों पर रोक लगाना था, लेकिन बैंकों के अधिकारियों ने यह होने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि क्रेडिट कार्ड योजना में भी इसी प्रकार का घोटाला हो रहा है। उन्होंने मुद्दे पर सदन में चर्चा की मांग की।
बसपा के दारासिंह चौहान ने कहा कि वह सरकार पर कोई आरोप नहीं लगा रहे हैं, लेकिन जिस प्रकार 13 फीसदी पात्र योजना का लाभ लेने से वंचित रह गए और जिस तरह बैंक अधिकारियों ने किसान ऋण माफी योजना के धन की लूट मचाई उससे लगता है कि निगरानी व्यवस्था नाकाम रही। उन्होंने सरकार से मांग की कि इस मामले की पूरी जांच कराई जाए।
जनता दल (यू) के शरद यादव ने कहा कि सरकार इस मामले में जवाबदेही और जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। उन्होंने इस मामले को आत्महत्या करने वाले किसानों के साथ धोखा बताया और कहा कि जिन अपराधियों ने गरीब किसान का पेट काटा है, उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए।