सुप्रीम कोर्ट (उच्चतम न्यायालय) ने कर्नाटक में उन कंपनियों को लौह अयस्क का खनन करने की अनुमति दे दी है जिन्होंने पट्टे की शर्तों का उल्लंघन नहीं किया था। इस तरह से राज्य में लौह अयस्क के खनन पर से न्यायालय की ओर से लगाया गया प्रतिबंध समाप्त हो गया है।
न्यायमूर्ति आफताब आलम की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने केंद्रीय अधिकारप्राप्त समिति (सीईसी) की वह रिपोर्ट स्वीकार कर ली जिसमें सीईसी ने कहा है कि वर्ग ‘अ’ के तहत पट्टाधारकों को खनन जारी रखने की अनुमति दी जाए क्योंकि इन्होंने किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया है। इस वर्ग में 21 पट्टों पर काम चल रहा है जबकि 24 का परिचालन अभी नहीं शुरू हुआ है।
अपना फैसला पढ़ते हुए पीठ ने यह भी कहा कि कंपनियों को कुछ शर्तों के साथ खनन परिचालन जारी रखने की अनुमति दी जा रही है। शेष पट्टों के संबंध में लौह अयस्क के खनन पर रोक जारी रहेगी।
सीईसी ने अपनी रिपोर्ट में खानों को तीन वर्गों- अ, ब और स में बांटा था। वे खानें जहां सबसे कम या कोई अनियमितताएं नहीं पाई गईं, उन्हें वर्ग ‘अ’ के तहत रखा गया और जहां सबसे अधिक अनियमितताएं पाई गईं उन्हें ‘स’ वर्ग में रखा गया।
कर्नाटक लौह व इस्पात विनिर्माण संघ ने उन लौह अयस्क खानों को बहाल करने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग की है जहां सीईसी ने न्यूनतम अनियमितताएं पाई हैं।