खास बातें
- सरकार ने चालू सत्र में 10 लाख टन चीनी के निर्यात के फैसले को अधिसूचित किया है जिसे एक मंत्री समूह ने दस दिन पहले मंजूरी दी थी।
नई दिल्ली: सरकार ने चालू सत्र में 10 लाख टन चीनी के निर्यात के फैसले को अधिसूचित किया है जिसे एक मंत्री समूह ने दस दिन पहले मंजूरी दी थी। खाद्य मामले पर मंत्रियों के अधिकार संपन्न समूह ने 22 नवंबर को ओपन जनरल लाइसेंस (ओजीएल) के तहत 10 लाख टन चीनी के निर्यात को अनुमति प्रदान की थी क्योंकि देश का चीनी उत्पादन मांग की तुलना में कहीं अधिक होने की संभावना है। खाद्य मंत्रालय ने इस अधिसूचना में कहा, 'ओजीएल के तहत 10 लाख टन कच्ची, साफ और रिफाइंड चीनी के निर्यात को अनुमति देने का फैसला किया गया है।' चीनी निर्यात का यह कोटा चीनी मिलों के बीच उनके विगत तीन वषरे के उत्पादन के औसत के आधार पर आवंटित किये जायेंगे। चीनी मिलें अपने खुद के उत्पादन से चीनी का निर्यात कर सकती हैं अथवा वे अन्य फैक्टरियों से चीनी प्राप्त कर सकती हैं ताकि परिवहन लागत को कम से कम किया जा सके। खाद्य मंत्रालय ने चीनी मिलों को निर्यात रिलीज आर्डर हेतु आवेदन करने के लिए 45 दिनों का समय दिया है जो रिलीज आर्डर 60 दिनों के लिए वैध होगा। दुनिया में चीनी के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक और सबसे बड़े उपभोक्ता देश भारत में चीनी का उत्पादन 2011-12 के सत्र (अक्तूबर से सितंबर) में 2.5 से 2.6 करोड़ टन होने का अनुमान है जबकि इसकी वाषिर्क मांग 2.2 करोड़ टन की ही है। भारत ने ओजीएल और एडवांस लाइसेंस योजना दोनों के तहत 26 लाख टन चीनी का निर्यात किया था। अधिक घरेलू उत्पादन के मद्देनजर चीनी उद्योग की चालू सत्र में 30 लाख टन चीनी निर्यात करने की अनुमति देने की मांग रही है ताकि चीनी मिलों की तरलता (नकदी) की स्थिति में सुधार लाया जा सके और गन्ना उत्पादकों को समय से भुगतान किया जा सके। इस बीच चीनी की वैश्विक कीमतें नरम पड़ना शुरु हो गयी हैं। आईसीओ के आंकड़ों के अनुसार कॉफी वर्ष 2010-11 में विश्व कॉफी निर्यात नौ प्रतिशत बढ़कर 10.31 करोड़ बैग हो गया जो कॉफी वर्ष 2009-10 में 9.43 करोड़ बैग था। आईसीओ ने वर्ष 2011-12 के लिए अपने कॉफी उत्पादन अनुमान को 26 लाख बैग कम कर 12.74 करोड़ बैग किया है जिसका कारण लातिन अमेरिका और एशिया में मौसम की स्थिति प्रतिकूल होना है। इस वर्ष जून में आईसीओ ने 2011-12 के कॉफी वर्ष में 13 करोड़ बैग के उत्पादन का अनुमान व्यक्त किया था। आईसीओ ने कहा, 'प्रतिकूल मौसम स्थिति कई निर्यातक देशों विशेषकर मध्य अमेरिका और इंडोनेशिया में दर्ज की गई है जिसके कारण उत्पादन अथ्ज्ञवा कटाई बाद की गतिविधियों पर नकारात्मक प्रभाव होता है।' इसने आगाह किया है कि अगर प्रतिकूल मौसम कायम रहता है तो वर्ष 2011-12 में उत्पादन क्षमता के साथ साथ कॉफी की गुणवत्ता दोनों ही प्रभावित हो सकती है।