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4-5 लाख टन कम रहेगा दाल का उत्पादन, सरकार को आयात की सलाह

कृषि मंत्रालय के पास मौजूद आंकड़ों के मुताबिक 30 मार्च तक 9 लाख 81 हज़ार हेक्टेयर में दालों की फसल प्रभावित हुई है और इस वजह से रबी सीज़न में दाल की पैदावार 4 से 5 लाख टन तक घट सकती है।
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NDTV Profit हिंदी08:42 PM IST, 11 Apr 2015NDTV Profit हिंदी
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बुंदेलखंड के महोबा जिले में ओलों और बारिश की तबाही से सबसे ज़्यादा नुकसान मसूर, अरहर और चने की फसलों पर पड़ा है और ये फसलें 75 फीसदी तक बर्बाद हो गई हैं।

किसान बदहाल हैं और मुआवज़े का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं। दरअसल देश में दाल की फसलों को हुए नुकसान का दायरा काफी बड़ा है।

कृषि मंत्रालय के पास मौजूद आंकड़ों के मुताबिक 30 मार्च तक 9 लाख 81 हज़ार हेक्टेयर में दालों की फसल प्रभावित हुई है और इस वजह से रबी सीज़न में दाल की पैदावार 4 से 5 लाख टन तक घट सकती है।

सुप्रीम कोर्ट के फूड कमिशनर एनसी सक्सेना ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि सरकार को इस साल ज़्यादा दाल आयात करने की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।

उनके मुताबिक हर साल औसतन 35 लाख टन दाल का आयात होता है। 4 से 5 लाख टन कम उत्पादन का मतलब है कि इस बार दाल औसत से ज़्यादा आयात करना पड़ेगा, ताकि बाज़ार में दाल की सप्लाई कम न रहे। उनकी सलाह है कि सरकार को दाल के अतिरिक्त आयात की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी हफ्ते प्रभावित किसानों को 50 फीसदी ज़्यादा मुआवज़ा देने का ऐलान किया है, लेकिन दाल की पैदावार पर पड़ने वाले असर से साफ है कि मौजूदा हालात में सरकार को कई स्तर पर जल्दी पहल करनी होगी।

कृषि मंत्री पहले ही गेहूं के उत्पादन में 5 फीसदी तक की गिरावट का अंदेशा जता चुके हैं। अब इस आपदा की वजह से दाल के उत्पादन पर भी पड़ने वाले असर से साफ है कि सरकार को प्रभावित किसानों तक ज़्यादा मुआवज़ा पहुंचाने के साथ-साथ आने वाले महीनों में बाज़ार में खाने-पीने की ज़रूरी चीजों की सप्लाई मुहैया कराने की तैयारी भी अभी से शुरू करनी होगी।

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