सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक अहम फैसले में कहा है कि GST परिषद (Goods & Services Tax Council) की सिफारिशें केंद्र और राज्यों पर बाध्यकारी नहीं हैं. यानी जीएसटी काउंसिल जो भी सिफारिशें देता हैं, उन्हें लागू करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार बाध्य नहीं हैं, बल्कि ये सिफारिशें सलाह-परामर्श के तौर पर देखी जानी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि इनका बस प्रेरक मूल्य है.
शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि संसद और राज्य विधानसभाओं के पास GST पर कानून बनाने का समान अधिकार है और GST परिषद इस पर उन्हें उपयुक्त सलाह देने के लिए है.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले में कहा कि भारत एक सहकारी संघवाद वाला देश है, ऐसे में परिषद की सिफारिशें बस सलाह के तौर पर देखी जा सकती हैं और राज्यों-केंद्र सरकार के पास इतना अधिकार है कि वो इसे मानें या न मानें.
जीएसटी परिषद की नई बैठक में नए टैक्स प्रावधान की तैयारी
सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के परिदृश्य में हम आपको बताते चलें कि जीएसटी परिषद की आगामी बैठक में कसीनो, घुड़दोड़, ऑनलाइन गेमिंग पर 28% जीएसटी को लेकर अहम फैसला आ सकता है. इस विषय पर समीक्षा के लिए गठित मंत्रियों की समिति ने अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे दिया है, जिसे परिषद की अगली बैठक में रखा जाना है. अभी कसीनो, घुड़दौड़ और ऑनलाइन गेमिंग पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है.
मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा की अगुवाई में मंत्रियों के समूहों ने इस महीने की शुरुआत में अपनी पिछली बैठक में सर्वसम्मति से इन सेवाओं पर कर की दर को बढ़ाकर 28 प्रतिशत करने का निर्णय लिया था.
जीओएम ने बुधवार को फिर से बैठक की. संगमा ने ट्वीट किया, ‘कसीनो, रेस कोर्स (घुड़दौड़) और ऑनलाइन गेमिंग पर कर लगाने को लेकर मंत्रियों के समूह (जीओएम) में सहमति बन गई है. यह रिपोर्ट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक या दो दिन में सौंप दी जाएगी. इसे जीएसटी परिषद की अगली बैठक में रखा जाएगा.'