भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मंगलवार को की जाने वाली मौद्रिक नीति समीक्षा के बारे में अधिकतर विश्लेषकों का अनुमान है कि ब्याज दरों में कटौती नहीं होगी।
मोर्गन स्टेनले ने एक रिपोर्ट में कहा है, हमारा मानना है कि रिजर्व बैंक दो दिसंबर को नीतिगत दरों को पुराने स्तर पर बरकरार रखेगा।
केयर रेटिंग्स ने अपनी एक टिप्पणी में कहा, दरों में कटौती से उत्साह का माहौल बनेगा, लेकिन रिजर्व बैंक अगली समीक्षा में कटौती को टाल सकता है।
देश की उपभोक्ता महंगाई दर अक्टूबर में रिकार्ड निचले स्तर 5.52 फीसदी पर दर्ज की गई है, जबकि थोक महंगाई दर 1.77 फीसदी रही है।
रिजर्व बैंक ने उच्च महंगाई दर का हवाला देते हुए मौजूदा कारोबारी साल में सभी समीक्षा बैठकों में दरों को पुराने स्तर पर ही रख छोड़ा है।
उल्लेखनीय है कि मौजूदा कारोबारी साल की दूसरी तिमाही में विकास दर 5.3 फीसदी रही है, जो प्रथम तिमाही में 5.7 फीसदी थी। साथ ही विनिर्माण विकास दर 0.1 फीसदी रही। अभी बैंक दर नौ फीसदी, रेपो दर आठ फीसदी और रिवर्स रेपो दर सात फीसदी है।
बैंक दर वह दर है, जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को ऋण देता है। रेपो दर वह दर है, जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को अल्पावधि के लिए ऋण देता है, जबकि रिवर्स रेपो दर वह दर है, जो रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों द्वारा रिजर्व बैंक में रखी गई अतिरिक्त राशि पर देता है।
समीक्षा से एक दिन पहले वित्त मंत्री रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन से होने वाली मुलाकात में उन्हें दरों में कटौती करने का आग्रह कर सकते हैं। क्योंकि कारोबारियों, सरकार और अर्थशास्त्री सभी राजन से दरों में कटौती की उम्मीद कर रहे हैं।
फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के अध्यक्ष सिद्धार्थ बिड़ला ने कहा, ब्याज दर विनिर्माण क्षेत्र की लागत संरचना का एक मुख्य घटक होती है। महंगाई की मौजूदा स्थिति को देखते हुए रिजर्व बैंक को मौद्रिक नीति में नरमी बरतनी चाहिए। इससे निवेश में वृद्धि होगी।