एक बड़े फैसले में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी और ऑयल इंडिया की छोटी और मझोली 69 तेल फील्ड्स की नीलामी कर उन्हें निजी और विदेशी फर्मों को देने का प्रस्ताव बुधवार को मंजूर कर लिया। तेल क्षेत्र में पहली बार राजस्व हिस्सेदारी मॉडल पेश किया जा रहा है।
फील्ड्स लौटाने की यह है वजह...
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने इन फील्ड्स की नीलामी को बुधवार को मंजूरी दे दी। सार्वजनिक क्षेत्र की ये दोनों कंपनियां इन फील्ड्स को इसलिए लौटा रही हैं क्योंकि सरकार की सब्सिडी साझा करने की व्यवस्था के चलते इन फील्ड्स को विकसित करना आर्थिक दृष्टि से अव्यावहारिक है।
नीलामी का फैसला है नफे का सौदा...
एक अधिकारी ने कहा कि इन फील्ड्स को राजस्व हिस्सेदारी या तेल और गैस हिस्सेदारी के आधार पर दिया जाएगा। कंपनियां सरकार को अधिकतम राजस्व हिस्सेदारी देने या तेल एवं गैस में अधिकतम प्रतिशत देने की पेशकश कर रही हैं और यह कंपनियों व सरकार दोनों के लिए ही फायदे का सौदा है।
तेल क्षेत्र में पहली बार राजस्व हिस्सेदारी मॉडल पेश
इस पूरे मामले पर पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि मंत्रिमंडल द्वारा 69 तेल फील्ड्स की नीलामी करने के निर्णय के बाद 70,000 करोड़ रुपये मूल्य के संसाधनों की बिक्री की जाएगी।
प्रधान ने कहा कि 69 छोटी और मझोली तेल फील्ड्स के लिए नीलामी में हाइड्रोकार्बन का उत्पादन करने के संबंध में ऑपरेटरों के लिए एकीकृत लाइसेंसिंग व्यवस्था (यूनिफाइड लाइसेंसिग सिस्टम) शुरू किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि उत्पादित गैस की बिक्री मौजूदा बाजार मूल्य पर की जाएगी और आबंटन पर कोई पाबंदी नहीं होगी।