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देश के सात प्रमुख शहरों में 2022 में लोगों की घर खरीदने की क्षमता घटी, कोलकाता बना सबसे किफायती हाउसिंग मार्केट

होम अफोर्डेबिलिटी इंडेक्स (Home Affordability Index) बताता है कि क्या किसी एक शहर के परिवार की आमदनी (औसत वार्षिक आय) मौजूदा बाजार मूल्य पर हाउसिंग प्रॉपर्टी खरीदने के लिए ‘एलिजिबल' है.
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NDTV Profit हिंदी06:08 PM IST, 05 Dec 2022NDTV Profit हिंदी
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Home Affordability Index : देश के सात प्रमुख शहरों में इस साल होम लोन रेट्स (Home Loan Rates) में वृद्धि और प्रॉपर्टी महंगी होने से लोगों की घर खरीदने की क्षमता प्रभावित हुई है. प्रॉपर्टी कंसल्टेंट जेएलएल इंडिया (JLL India) ने सोमवार को यह जानकारी दी है. जेएलएल के अनुसार, मुंबई को छोड़कर अन्य शहरों में ‘अफोर्डेबिलिटी इंडेक्स' संतोषजनक स्थिति में रहा है. वहीं कोलकाता, पुणे और हैदराबाद के देश के सबसे सस्ते हाउसिंग मार्केट (Cheapest Housing Markets) बने रहने का अनुमान है.

जेएलएल ने सोमवार को होम अफोर्डेबिलिटी इंडेक्स (Home Affordability Index) यानी एचपीएआई (HPAI) पेश किया है. यह इंडेक्स बताता है कि क्या किसी एक पूरे शहर के परिवार की आमदनी (औसत वार्षिक आय) मौजूदा बाजार मूल्य पर हाउसिंग प्रॉपर्टी खरीदने के लिए ‘एलिजिबल' है.

रिपोर्ट के अनुसार, इस सूची में कोलकाता 193 अंक के अनुमानित मूल्य के साथ शीर्ष सात शहरों में सबसे किफायती हाउसिंग मार्केट है. इसके बाद पुणे 183, हैदराबाद 174, बेंगलुरु 168, चेन्नई 162, दिल्ली 125 और मुंबई का 92 अंक के साथ आखिरी स्थान पर है. पिछले साल कोलकाता में एचपीएआई मूल्य (HPAI Value) 212 अंक, हैदराबाद का 196, पुणे का 195, बेंगलुरु का 185, चेन्नई का 181, एनसीआर का 140 और मुंबई का 100 अंक रहा था.

कंसल्टेंट कंपनी ने बताया कि 2022 में आवासीय खरीद क्षमता थोड़ी घटी है, क्योंकि मुद्रास्फीति (Inflation) के दबाव ने निर्माण लागत को बढ़ाया है जिससे खरीदारी प्रभावित हुई. वहीं, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा रेपो दर (Repo Rate) में वृद्धि के चलते भी होम लोन (Home Loan) महंगा हुआ है. जेएलएल ने कहा कि 2013 और 2021 के बीच सभी भारतीय शहरों में घर खरीदने की क्षमता में लगातार बढ़ोतरी हुई थी. यह घर खरीदने के लिए बेहतर समय रहा था.

वहीं, जेएलएल इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री और शोध प्रमुख सामंतक दास ने कहा, ‘‘2021 के दूसरी छमाही तक आर्थिक गतिविधियों की बहाली ने घरेलू आय में सुधार को बढ़ावा दिया, जबकि खरीदार गतिविधि में सुधार ने भी कीमतों में मामूली वृद्धि का समर्थन किया.''

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