वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को अपना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार का पहला बजट भाषण लोकसभा में पेश किया। उन्होंने इस दौरान आर्थिक विकास की धीमा रफ्तार पर चिंता जताई और इसे तेज करने के लिए सुधार के कदम उठाने का वादा किया।
उन्होंने कहा, भारत की जनता ने बदलाव के लिए निर्णायक वोट दिया है। मेरे द्वारा बजट में उठाए गए कदम का लक्ष्य अगले तीन-चार सालों में विकास दर को सात-आठ फीसदी तक पहुंचाना, महंगाई कम करना, वित्तीय घाटा को कम करना और चालू खाता घाटा को कम करना होगा।
जेटली ने अर्थव्यवस्था की स्थिति पर कहा कि उच्च मुद्रास्फीति, कम विकास और कर संग्रह की धीमी रफ्तार को देखते हुए उनके पूर्ववर्ती वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा रखा गया जीडीपी के 4.1 फीसदी वित्तीय घाटे का लक्ष्य हासिल करना एक 'मुश्किल' काम था। जेटली ने कहा, मैंने इस लक्ष्य को एक चुनौती के रूप में स्वीकारने का फैसला लिया।
उन्होंने कहा कि वह अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को 3.6 फीसदी और उसके बाद तीन फीसदी तक कम करने की कोशिश करेंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि मॉनसून कमजोर रहने की आशंका, इराक संकट, सरकारी वित्त और मुद्रास्फीति दोनों के लिए प्रमुख चुनौतियां हैं। लेकिन उन्होंने कहा कि तत्काल सुधारात्मक कदम उठाने के लिए स्थिति पर कड़ी नजर रखी जाएगी। जेटली ने कहा, वित्तीय स्थायित्व आर्थिक विकास में तेजी का आधार है।