भारतीय रिजर्व बैंक की द्विमासिक मौद्रिक नीति से पहले वित्तमंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को दोहराया कि व्यावहारिक सोच के अनुसार देश में ब्याज दरों में कमी होनी चाहिए।
जेटली ने फिनांशल टाइम्स से कहा कि मुद्रास्फीति 'अत्यंत नियंत्रण में' है और वैश्विक आर्थिक संकटों से निपटने के लिहाज से भारत अन्य अधिकांश उदीयमान अर्थव्यवस्थाओं से कहीं बेहतर तैयार है। उन्होंने कहा, 'व्यावहारिक समझ यही है कि ब्याज दरों में कमी होनी चाहिए।'
आपको बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक चौथी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा 29 सितंबर को पेश करने जा रहा है। सरकार व उद्योग जगत का उस पर नीतिगत ब्याज दर में कटौती के लिए भारी दबाव है।
केंद्रीय बैंक जनवरी के बाद से तीन किस्तों में नीतिगत ब्याज दर में कुल मिलाकर तीन बार में 0.75 प्रतिशत की कमी कर चुका है।
जेटली ने कहा कि अगर ब्याज दरें कम होती हैं तो अर्थव्यवस्था 7-7.5 प्रतिशत से अधिक तेजी से वृद्धि कर सकती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा, 'अगर तेल का ब्रिकी मूल्य सामान्य से आधा है, जिंस कीमतें नीची हैं और हमारे पास खाद्यान्न भंडार है तो मुद्रास्फीति हमारी सबसे कम चिंता है।' भारत अपनी 80 प्रतिशत पेट्रोलियम जरूरतों को आयात से पूरा करता है और तेल की वैश्विक कीमतों में गिरावट से उसे बड़ा फायदा हुआ है।
अखबार के अनुसार ब्याज दर तय करने के लिए प्रस्तावित मौद्रिक नीति समिति पर जेटली ने संकेत दिया कि एक समझौता हो चुका है और सरकार के पास संभवत निर्णयकारी मत नहीं हो।