
प्रतीकात्मक तस्वीर.
पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के बाद ये सवाल एक बार फिर से उभरा है कि बैंकों में साइबर सिक्योरिटी कंट्रोल कैसे होने चाहिए. इस मुद्दे पर रिज़र्व बैंक समय-समय पर बैंकों को दिशा निर्देश जारी करता रहा है. NDTV को ऐसे ही दिशा निर्देशों की जानकारी मिली है जो रिज़र्व बैंक ने 2016 में बैंकों को जारी किए थे. उस समय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन थे. अगर रघुराम राजन के आदेश का पंजाब नेशनल बैंक ने पालन किया होता तो इतना बड़ा घोटाला होता ही नहीं.
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इन दिशा निर्देशों में रिज़र्व बैंक लिखता है कि हाल में साइबर हमलों की बढ़ती हुई संख्या देखते हुए बैंक अपने साइबर कंट्रोल सिस्टम को मज़बूत करें. एक साइबर सिक्योरिटी पॉलिसी हो, जिसमें ख़तरों के बदलते स्वरूप से निपटने की व्यवस्था की जाए. मौजूदा व्यवस्था में खामियों का पता किया जाए और एक तय समय में उनसे निपटने के उपाय किए जाएं.
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रिजर्व बैंक ने बैंकों को निर्देश जारी कर कहा था कि नॉस्ट्रो एकाउंट में होने वाले लेनदेन पर ख़ासतौर पर रियल टाइम बेसिस पर निगाह रखी जाए. नॉस्ट्रओ एकाउंट वह बैंक एकाउंट होता है जो एक देश का बैंक किसी दूसरे देश के बैंक में खोलता है. आमतौर पर ये उसी देश की मुद्रा में होता है.
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आरबीआई ने कहा कि बैंक अपने 'स्विफ्ट' सिस्टम का ऑडिट करें. स्विफ्ट का मतलब है सोसायटी फॉर वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलिकम्यूनिकेशन. यह एक ऐसा मैसेजिंग सिस्टम है जिसे बैंक दुनियाभर के दूसरे बैंकों के साथ सूचना और निर्देशों का कोड भाषा में एक बड़े ही सुरक्षित चैनल से आदान-प्रदान करते हैं. इसके लिए सूचना तकनीक के ढांच को मज़बूत करने पर रिज़र्व बैंक ज़ोर देता रहा है. बैंक समय-समय पर उभरने वाली चुनौतियों के लिहाज से भी साइबर सिक्योरिटी के ख़ास इंतज़ाम कर सकते हैं.