कोयला खदानों की प्रगति पर अंतर मंत्रालय समूह की समीक्षा बैठक से पहले कोयला मंत्रालय ने 60 कोयला खानों के मुफ्त आवंटन से उनके आवंटियों को 1.97 लाख करोड़ रुपये का लाभ होने का अनुमान लगाया है।
निजी कंपनियों को आवंटित 25 कोयला खानों की प्रगति की समीक्षा के लिए अंतर मंत्रालयी समूह की तीन दिवसीय बैठक गुरुवार से शुरू होनी है। कोयला मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव जोहरा चटर्जी की अध्यक्षता वाले इस समूह का गठन जुलाई में किया गया था। समूह तय समयसीमा के भीतर कोयला उत्पादन शुरू नहीं करने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश करेगा।
कोयला मंत्रालय ने कहा है कि सरकारी लेखापरीक्षक कैग द्वारा आवंटन में नुकसान का आकलन करने के लिए अपनाए गए तरीके के अनुसार इन 60 कोयला खानों में मौजूद 6.7 अरब टन कोयले का मूल्य 1.97 लाख करोड़ रुपये हो सकता है। इन 60 खानों का आवंटन 1998 से लेकर 2009 के बीच किया गया। आवंटन में कोई बोली नहीं मंगाई गई। इनमें से सात कोयला खानों का आवंटन भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के कार्यकाल में किया गया जबकि 53 खानों का आवंटन कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के कार्यकाल में हुआ।
कोयला मंत्रालय के दस्तावेज के मुताबिक यदि निजी कंपनियों को अनुचित लाभ की कैग की प्रणाली को अपनाया जाए तो राजग के समय आवंटित सात कोयला ब्लॉक में कंपनियों को 12,421 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ पहुंचा। इन खानों में 42 करोड़ टन कोयले का भंडार होने का अनुमान है।
दस्तावेज में जिन 60 कोयला खानों का जिक्र है उनमें से 19 खान कैग की रिपोर्ट में शामिल हैं। कैग ने वर्ष 2005 से लेकर 2009 के बीच आवंटित 57 कोयला खानों के आवंटन में कंपनियों को 1.86 लाख करोड़ रुपये का लाभ पहुंचने का अनुमान लगाया है।