हिंदी सिनेमा में अपनी खूबसूरती और अदाओं से लाखों दिलों को धड़काने वालीं एक्ट्रेस मनीषा कोइराला को कौन नहीं जानता. उनका बॉलीवुड सफर काफी सुर्खियों में रहा. करियर में एक ऐसा दौर भी आया, जब उन्हें अपनी इज्जत की खातिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा और अपनी ही फिल्म को रिलीज होने से रोकने की गुहार लगानी पड़ी. क्या था ये पूरा मामला चलिए जानते हैं. दरअसल, मनीषा कोइराला ने नेपाली फिल्म से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी. उन्होंने साल 1989 की नेपाली फिल्म 'फेरी भेटुला' में एक छोटा रोल निभाया था, लेकिन बॉलीवुड में डेब्यू उन्होंने राजकुमार और दिलीप कुमार स्टारर में फिल्म 'सौदागर' (1992 ) से की. इसमें उनका 'इलू इलू' सॉन्ग काफी पसंद किया गया, जिसके बाद वह 'इलू इलू गर्ल' के नाम से जानी गईं.
इसके बाद मनीषा कोइराला ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने '1942 ए लव स्टोरी' में काम किया. वह फिल्म 'बॉम्बे', 'अग्नि सखी', 'गुप्त', 'खामोशी', 'दिल से' और 'मन' में भी नजर आईं. उन्होंने बॉलीवुड पर्दे पर कई हिट फिल्में दीं, लेकिन कुछ वक्त बाद फिल्म फ्लॉप होने लगी और वह डिप्रेशन में चली गईं. डिप्रेशन के चलते उन्हें शराब की लत गई, जिसका असर उनके करियर पर भी पड़ा. कई बड़े प्रोड्यूसर और डायरेक्टर उनके साथ काम करने में कतराने लगे.
साल 2002 में उनके पास कोई काम नहीं था. इस बीच निर्देशक शशिलाल के नायर ने उन्हें ऐसी फिल्म का ऑफर दिया, जिसमें कई बोल्ड सीन्स थे. फिल्म की कहानी एक टीनएज लड़के की थी, जिसको अपने से बड़ी उम्र की लड़की से प्यार हो जाता है और वह उसे पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार होता है. कोई काम न होने की वजह से मनीषा ने इस फिल्म के लिए हां कर दी. मूवी थी एक छोटी सी लव स्टोरी.
शूटिंग पूरी होने के बाद जब मनीषा ने फिल्म का प्रिंट देखा तो वह हैरान रह गईं. आरोप है कि नायर ने मनीषा से छिपाकर उनके बॉडी डबल से कई बोल्ड और बेड सीन्स शूट कराए थे. एक्ट्रेस को लगा कि अगर यह फिल्म रिलीज होती है, तो यह उनके इज्जत पर धब्बा लगाने का काम करेगी. अपनी इज्जत को बचाने के खातिर उन्होंने फिल्म की रिलीज को रोकने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हालांकि रिलीज तो नहीं रुकी, लेकिन जो हुआ वह एक्ट्रेस की सोच से परे था. लोगों ने फिल्म को और मनीषा के काम को काफी सराहा.
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