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जब इस चुनाव में धर्मेंद्र ने झोंक दी थी पूरी ताकत, पापा को जिताने के लिए मैदान में उतर गए थे सनी और बॉबी देओल

दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र 89 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए. वह बॉलीवुड के सुपरस्टार के रूप में तो प्रसिद्ध थे ही, लेकिन राजनीति में भी उनकी छवि हमेशा प्यार, विनम्रता और लोगों की मदद करने की भावना के लिए जानी जाती रही.

जब इस चुनाव में धर्मेंद्र ने झोंक दी थी पूरी ताकत, पापा को जिताने के लिए मैदान में उतर गए थे सनी और बॉबी देओल
जब इस चुनाव में धर्मेंद्र ने झोंक दी थी पूरी ताकत
नई दिल्ली:

दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र 89 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए. वह बॉलीवुड के सुपरस्टार के रूप में तो प्रसिद्ध थे ही, लेकिन राजनीति में भी उनकी छवि हमेशा प्यार, विनम्रता और लोगों की मदद करने की भावना के लिए जानी जाती रही. राजस्थान के बीकानेर ने सोमवार को अपने एक ऐसे पूर्व सांसद को खो दिया, जो लोगों की मदद के लिए हमेशा आगे रहते थे. धर्मेंद्र का बीकानेर से रिश्ता न सिर्फ राजनीतिक था, बल्कि भावनात्मक भी था. सांसद रहते हुए भले ही उनका शहर में अधिक समय नहीं बीता, लेकिन उन्होंने ऐसे कई काम किए, जिन्हें लोग आज भी याद करते हैं. इनमें सबसे महत्वपूर्ण सूरसागर तालाब प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाना है.

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चुनाव अभियान के दौरान जब उन्होंने देखा कि तालाब की हालत वर्षों से खराब है, तो उन्होंने खुद उस समय की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से संपर्क किया. इसके बाद दिल्ली जाकर केंद्रीय मंत्रियों से भी बात की और फंड जुटाया. वह अपने सांसद कोटे से भी पैसे देने से पीछे नहीं हटे और सूरसागर तालाब की हालत तय समय पर ठीक करवाई. बीकानेर के लोग आज भी इस प्रयास के लिए उन्हें याद करते हैं.

धर्मेंद्र का 2004 का चुनाव अभियान भी अपनी शालीनता के लिए याद किया जाता है. कांग्रेस उम्मीदवार रामेश्वर डूडी के खिलाफ कड़े मुकाबले में भी धर्मेंद्र ने कभी व्यक्तिगत हमला नहीं किया. उन्होंने डूडी को बार-बार अपना 'छोटा भाई' कहा, और इसका असर यह हुआ कि पूरे चुनाव के दौरान डूडी ने भी व्यक्तिगत टिप्पणी से परहेज किया. यह चुनाव बीकानेर में सबसे दोस्ताना और शालीन मुकाबलों में से एक माना गया.

चुनाव में धर्मेंद्र ने स्टार पावर की ताकत झोंकी थी और अपने बेटे सनी और बॉबी देओल को बीकानेर बुलाया था. उनके आने से बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए और शहर के कई हिस्सों का माहौल बदल गया था. इस समर्थन के चलते धर्मेंद्र ने 57,000 वोटों से जीत हासिल की.

सांसद रहते हुए धर्मेंद्र हमेशा डेवलपमेंट फंड के लिए दिल खोलकर पैसे देते रहे. स्थानीय समाजों, संस्थाओं और सामुदायिक कार्यों के लिए उन्होंने लगातार वित्तीय मदद दी. आज भी बीकानेर में कई बोर्ड हैं जिन पर उनका नाम लिखा हुआ है, और ये उन परियोजनाओं की याद दिलाते हैं जो उनके कार्यकाल में पूरी हुईं. ज्यादातर परियोजनाओं की सिफारिश उनके पार्टी सहयोगियों सत्यप्रकाश आचार्य और कमल व्यास ने की थी.

धर्मेंद्र के पार्टी में रिश्ते भी खास थे. वे चुनाव प्रभारी मानिकचंद सुराणा को प्यार से 'कोट पहनने वाले नेताजी' कहते थे. यह उपनाम मजाक में था, लेकिन यह उनके स्नेह और आत्मीयता को दर्शाता था. धर्मेंद्र की लोकप्रियता का सबसे बड़ा प्रमाण यह था कि बीकानेर के लोग उन्हें विवादों या राजनीतिक गतिविधियों के लिए नहीं, बल्कि उनके प्यार, विकास कार्यों और सभी के प्रति अपनेपन के लिए याद रखते हैं.
 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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