विज्ञापन

रिलीज के 15 मिनट बाद ही थिएटर से उतर गई थी इस सुपरस्टार की फिल्म, देखने के लिए लोगों से मांगी माफी, आखिरी बार बना हीरो

बॉलीवुड में अगर किसी अभिनेता ने खलनायक के किरदार को पहचान दिलाई है, तो उनमें शक्ति कपूर का नाम सबसे ऊपर आता है. करीब 47 साल से फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय शक्ति कपूर ने चार दशकों तक सिल्वर स्क्रीन पर विलेन के रूप में राज किया.

रिलीज के 15 मिनट बाद ही थिएटर से उतर गई थी इस सुपरस्टार की फिल्म, देखने के लिए लोगों से मांगी माफी, आखिरी बार बना हीरो
1982 की फिल्म जख्मी इंसान है सुपर फ्लॉप फिल्म
नई दिल्ली:

बॉलीवुड में अगर किसी अभिनेता ने खलनायक के किरदार को पहचान दिलाई है, तो उनमें शक्ति कपूर का नाम सबसे ऊपर आता है. करीब 47 साल से फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय शक्ति कपूर ने चार दशकों तक सिल्वर स्क्रीन पर विलेन के रूप में राज किया. उनकी हंसी, अंदाज और निगेटिव रोल्स आज भी दर्शकों के दिमाग में ताजा हैं. लेकिन कम लोग जानते हैं कि एक समय ऐसा भी आया था जब शक्ति कपूर ने इस इमेज को तोड़कर हीरो बनने की कोशिश की थी और यही फैसला उनके लिए सबसे बड़ा झटका साबित हुआ.

1982 में रिलीज हुई फिल्म ‘जख्मी इंसान' शक्ति कपूर के करियर का वो मोड़ थी, जिसे वह आज भी दर्द के साथ याद करते हैं. इस फिल्म में उन्होंने पहली और आखिरी बार लीड रोल निभाया था. उस दौर में जब एक्टर की पहचान एक खास तरह के किरदार से बन जाती थी, तब टाइपकास्टिंग से बाहर निकलना लगभग नामुमकिन था. इसके बावजूद शक्ति कपूर ने रिस्क लिया और खुद को हीरो के रूप में साबित करने की ठानी.

फिल्म में उनके साथ जावेद खान, रितु भादुरी और अरुणा ईरानी जैसे कलाकार नजर आए थे, जबकि निर्देशन की कमान दीपक बलराज विज ने संभाली थी. शक्ति कपूर के मुताबिक, फिल्म साइन करते वक्त उन्हें लगा कि अब उनकी जिंदगी की दिशा बदलने वाली है. उन्हें यकीन था कि यह फिल्म उन्हें एक नई पहचान दिलाएगी. लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट निकली. शक्ति कपूर ने खुद बताया कि फिल्म रिलीज होते ही हालात बिगड़ गए. थिएटर में फिल्म चली जरूर, लेकिन महज 15 मिनट के भीतर ही उसे उतार लिया गया. फिल्म की नाकामी इतनी बड़ी थी कि मेकर्स को करोड़ों का नुकसान झेलना पड़ा. हालात ऐसे बन गए कि फिल्म के बाद शक्ति कपूर को कई लोगों से माफी तक मांगनी पड़ी.

इस फ्लॉप का असर उनके करियर पर भी साफ दिखा. शक्ति कपूर ने स्वीकार किया कि ‘जख्मी इंसान' के बाद उन्हें उन विलेन के रोल्स के लिए भी हाथ जोड़ने पड़े, जिन्हें वह पहले बिना सोचे-समझे ठुकरा दिया करते थे. उन्होंने कहा कि हीरो बनने के आत्मविश्वास में उन्होंने कई लोगों से कह दिया था कि अब वह निगेटिव रोल नहीं करेंगे, लेकिन फिल्म के फ्लॉप होते ही उन्हें उन्हीं लोगों के पास लौटना पड़ा.

आज के दौर की बात करें तो शक्ति कपूर का मानना है कि हिंदी सिनेमा में पारंपरिक विलेन का कॉन्सेप्ट लगभग खत्म हो चुका है. पहले फिल्मों में हीरो, विलेन, हीरोइन और वैम्प की साफ पहचान होती थी, लेकिन अब मेल एक्टर्स हर तरह के किरदार निभा रहे हैं. फिर भी, शक्ति कपूर जैसे कलाकारों ने विलेन को जो पहचान दी, वह हमेशा याद की जाएगी.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com