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मनहूस मानी जाती है ये हिंदी फिल्म, बनते-बनते हुई दो एक्टर और डायरेक्टर की मौत, 24 साल बाद पहुंची थियेटर और हुई FLOP

इस फिल्म की शूटिंग और काम खत्म करने में 24 साल लगे. इतने लंबे इंतजार के बाद थियेटर पहुंची और वहां बुरी तरह फ्लॉप साबित हुई.

मनहूस मानी जाती है ये हिंदी फिल्म, बनते-बनते हुई दो एक्टर और डायरेक्टर की मौत, 24 साल बाद पहुंची थियेटर और हुई FLOP
मनहूस क्यों कहलाई जाती है ये फिल्म?
नई दिल्ली:

हिंदी सिनेमा में एक ऐसी फिल्म है जिसे ‘मनहूस' कहा जाता है. इस फिल्म को बनने में 24 साल लगे, लेकिन इस दौरान दो बड़े सितारों और डायरेक्टर समेत कई कलाकारों की मौत ने सबको दहशत में डाल दिया. यह फिल्म थी ‘लव एंड गॉड'. इसमें निम्मी और संजीव कुमार लीड रोल में थे. इसे डायरेक्टर के. आसिफ ने बनाया था, जिन्होंने इससे पहले ‘मुगल-ए-आजम' जैसी शानदार फिल्म दी थी. लेकिन ‘लव एंड गॉड' के बनने की प्रोसेस इतनी दुखद रही कि इसे लोग भूल नहीं पाते.

‘लव एंड गॉड': सपना जो बन गया अभिशाप

के. आसिफ ने ‘लव एंड गॉड' को ‘मुगल-ए-आजम' की तरह एक ऐतिहासिक फिल्म बनाने का सपना देखा था. यह फिल्म लैला-मजनू की प्रेम कहानी पर आधारित थी, जिसमें लैला का किरदार निम्मी और मजनू का किरदार गुरु दत्त को निभाना था. गुरु दत्त शुरू में इस रोल के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन आसिफ ने उन्हें मना लिया. साल 1962 में शूटिंग शुरू हुई, लेकिन इसके बाद जो हुआ, उसने सबको चौंका दिया.

गुरु दत्त की दुखद मौत

उस समय गुरु दत्त निजी जिंदगी में कई परेशानियों से जूझ रहे थे. उनकी फिल्म ‘कागज के फूल' बॉक्स ऑफिस पर असफल रही थी, जिसके कारण वे आर्थिक तंगी में थे. उनका घर तक गिरवी रखना पड़ा था. इसके अलावा, उनकी पत्नी गीता दत्त के साथ भी उनके रिश्ते तनावपूर्ण थे. कहा जाता है कि गुरु दत्त ने दो बार आत्महत्या की कोशिश की थी. एक रात गीता दत्त के साथ उनके झगड़े के बाद वह घर छोड़कर चली गईं. गुरु दत्त ने खुद को कमरे में बंद कर लिया और शराब के साथ नींद की गोलियां ले लीं. अगली सुबह उनकी मौत की खबर ने सबको हिलाकर रख दिया. इसके साथ ही फिल्म की शूटिंग रुक गई.

संजीव कुमार को मिला मजनू का किरदार

गुरु दत्त की मौत के बाद के.आसिफ ने संजीव कुमार को मजनू के रोल के लिए चुना. आसिफ ने संजीव का धैर्य परखने के लिए उन्हें पहले एक दूसरी फिल्म ‘सस्ता खून महंगा पानी' में काम करने के लिए राजस्थान भेजा, क्योंकि ‘लव एंड गॉड' की शूटिंग भी राजस्थान में होनी थी. संजीव ने इस परीक्षा में सफलता हासिल की और आसिफ ने उन्हें अपनी फिल्म में साइन कर लिया.

डायरेक्टर के. आसिफ की अचानक मौत

शूटिंग दोबारा शुरू हुई, लेकिन फिल्म की किस्मत में कुछ और ही था. 1971 में संजीव कुमार कुछ समय के लिए मुंबई छोड़कर एक दूसरे प्रोजेक्ट में बिजी हो गए. जब वे लौटे तो के.आसिफ उनसे मिलने पहुंचे. बातचीत के दौरान अचानक आसिफ को सांस लेने में तकलीफ हुई और संजीव की बांहों में ही उनकी मृत्यु हो गई. यह घटना संजीव के लिए बड़ा झटका थी, और फिल्म एक बार फिर अधर में लटक गई.

संजीव कुमार की मौत और अन्य हादसे

के. आसिफ की मौत के बाद संजीव कुमार ने फिल्म को पूरा करने की जिम्मेदारी ली. उन्होंने कई प्रोड्यूसर्स और यहां तक कि दिलीप कुमार से भी मदद मांगी, लेकिन कोई आगे नहीं आया. आखिरकार, प्रोड्यूसर केसी बोकाडिया ने फिल्म को फंड करने का फैसला किया. शूटिंग दोबारा शुरू हुई, लेकिन तभी संजीव कुमार की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई. इसके अलावा, फिल्म के बनने तक कई दूसरे कलाकारों की भी मौत हो चुकी थी. इन हादसों ने फिल्म को ‘मनहूस' और ‘शापित' का टैग दे दिया.

24 साल बाद रिलीज, लेकिन फ्लॉप

लंबे इंतजार और तमाम मुश्किलों के बाद ‘लव एंड गॉड' 1986 में रिलीज हुई. केसी बोकाडिया ने फिल्म को उसी हालत में रिलीज करने का फैसला किया. बचे हुए हिस्सों को बॉडी डबल के जरिए पूरा किया गया, लेकिन एडिटिंग इतनी खराब थी कि फिल्म दर्शकों को बिल्कुल पसंद नहीं आई और यह बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह असफल रही.

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