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हिंदी फिल्मों का वो 'जज' जिसने 300 फिल्मों में निभाया एक ही किरदार, कभी नहीं मिल सका लीड रोल

हिंदी फिल्मों का एक अभिनेता ऐसा था, जिसने 10-20 नहीं बल्कि 300 फिल्मों में एक ही किरदार निभाया. कभी लेखक बनने का सपना देखने वाले इस एक्टर ने 500 से अधिक फिल्में की, लेकिन कभी लोड रोल निभाने का मौका नहीं मिला.

हिंदी फिल्मों का वो 'जज' जिसने 300 फिल्मों में निभाया एक ही किरदार, कभी नहीं मिल सका लीड रोल
लेखक बनने का देखा सपना, लेकिन बन गया हिंदी फिल्मों का जज
नई दिल्ली:

बॉलीवुड का हर एक्टर चाहता है कि उसे फिल्मों में अलग-अलग किरदार निभाने का मौका मिले और वह खुद को वर्सटाइल एक्टर के तौर पर स्थापित कर सके. लेकिन हिंदी फिल्मों का एक अभिनेता ऐसा था, जिसने 10-20 नहीं बल्कि 300 फिल्मों में एक ही किरदार निभाया. कभी लेखक बनने का सपना देखने वाले इस एक्टर ने 500 से अधिक फिल्में की, लेकिन कभी लोड रोल निभाने का मौका नहीं मिला. हां इनका बेटा जरूर बॉलीवुड का बड़ा सितारा बना और हिंदी फिल्मों के एक खूंखार विलेन की पहचान बनाई.

300 फिल्मों में एक ही किरदार को दोहराया

इस एक्टर का नाम था हामिद अली मुराद. मुराद का जन्म रामपुर में साल 1911 में हुआ. 1940 में उन्होंने फिल्मों में काम करना शुरू किया और उन्हें मुराद के नाम से जाना गया. 1940 से लेकर 1990 तक मुराद ने करीब 500 फिल्मों में काम किया. इनमें से करीब 300 फिल्मों में वह जज के रोल में नजर आए. बाकी फिल्मों में वह कभी पुलिस कमिश्नर बने तो कभी मुगल काल का सम्राट. हालांकि कभी भी उन्हें लीड रोल निभाने का मौका नहीं मिला.

ये फिल्में रहीं हिट

मुगल-ए-आजम, अंदाज, आन, देवदास, यादों की बारात, मजबूर, शहंशाह और कालिया जैसी कई हिट फिल्मों का मुराद हिस्सा बने. 1990 में रिलीज़ प्यार के नाम कुर्बान उनकी आखिरी फिल्म थी. मुराद जब मुंबई आए थे तो वह लेखक बनना चाहते थे, लेकिन महबूब खान के कहने पर उन्होंने एक्टिंग का रुख किया. मुराद के बेटे रजा मुराद बॉलीवुड में अपना नाम बनाने में सफल रहे और उन्होंने ढेरों फिल्मों में लीड विलेन का रोल निभाया.

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