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सुपरहिट डेब्यू, सुपरफ्लॉप इश्क, ये हैं 9 अमर प्रेम कहानियां...जब पर्दे की मोहब्बत हकीकत में रह गई अधूरी

आइए जानें ऐसी ही कुछ अधूरी लेकिन यादगार मोहब्बतों की दास्तान, जिनका आगाज रील से हुआ, मगर अंजाम रियल में बिछड़ाव रहा.

सुपरहिट डेब्यू, सुपरफ्लॉप इश्क, ये हैं 9 अमर प्रेम कहानियां...जब पर्दे की मोहब्बत हकीकत में रह गई अधूरी
पढ़ें बॉलीवुड की अधूरी प्रेम कहानियां
नई दिल्ली:

हिंदी सिनेमा में कई जोड़ियां ऐसी रही हैं, जिन्होंने अपनी पहली ही फिल्म से दर्शकों के दिलों में जगह बना ली. जब रोमांटिक फिल्मों से नए चेहरों ने डेब्यू किया और साथ वक्त बिताया, तो कई बार ये नजदीकियां असल मोहब्बत में बदल गईं. लेकिन अक्सर इन प्रेम कहानियों के बीच आ गया- परिवार का विरोध, सामाजिक सोच और हालातों की दीवारें. आइए जानें ऐसी ही कुछ अधूरी लेकिन यादगार मोहब्बतों की दास्तान, जिनका आगाज रील से हुआ, मगर अंजाम रियल में बिछड़ाव रहा. कौन सी हैं जोड़ियां, आइए जानते हैं.

1. दिलीप कुमार – मधुबाला (मुग़ल-ए-आजम, 1960)

यह फिल्म ना सिर्फ उस समय की सबसे बड़ी हिट बनी बल्कि भारतीय सिनेमा की सबसे शानदार प्रेम कहानियों में शुमार हो गई. 'प्यार किया तो डरना क्या' उस दौर के प्रेमियों का टैगलाइन बन गया. असल ज़िंदगी में दिलीप कुमार और मधुबाला के बीच गहरा प्यार था, लेकिन मधुबाला के पिता इस रिश्ते के खिलाफ थे. कानूनी विवादों और पारिवारिक विरोध के चलते यह प्रेम कहानी अधूरी रह गई- ठीक उसी तरह जैसे फिल्म में सलीम और अनारकली की.

2. ऋषि कपूर – डिंपल कपाड़िया (बॉबी, 1973)

राज कपूर द्वारा निर्देशित इस फिल्म ने एक नई रोमांटिक लहर पैदा की. फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त सफलता हासिल की और डिंपल कपाड़िया रातों-रात स्टार बन गईं. 'मैं शायर तो नहीं' और 'हम तुम एक कमरे में बंद हों' जैसे गाने युवाओं के लिए प्यार का इज़हार बन गए थे. फिल्म के सेट पर ऋषि और डिंपल एक-दूसरे के करीब आए, लेकिन ऋषि के पिता राज कपूर इस रिश्ते से खुश नहीं थे. फिल्म के तुरंत बाद डिंपल ने सुपरस्टार राजेश खन्ना से शादी कर ली, और यह रिश्ता वहीं खत्म हो गया.

3. कुमार गौरव – विजेता पंडित (लव स्टोरी, 1981)

राजेन्द्र कुमार द्वारा निर्देशित इस फिल्म से कुमार गौरव ने डेब्यू किया और वो युवाओं के चहेते बन गए. 'याद आ रही है', 'देखो मैंने देखा है एक सपना' जैसे गीत प्रेमियों की आत्मा में बस गए. कुमार गौरव और विजेता पंडित के बीच गहरा रिश्ता बना, लेकिन कुमार गौरव के पिता, अभिनेता राजेन्द्र कुमार इस रिश्ते के खिलाफ थे. विजेता के परिवार को भी यह मंज़ूर नहीं था. पारिवारिक दखल और असहमति के चलते यह प्रेम कहानी भी पूरी नहीं हो सकी.

4. सनी देओल – अमृता सिंह (बेताब, 1983)

इस फिल्म से सनी देओल का बतौर हीरो आगाज हुआ और अमृता सिंह के साथ उनकी जोड़ी खूब पसंद की गई. 'जब हम जवान होंगे' और 'तेरी तस्वीर मिल गई' जैसे गीत उस समय के हर युवा दिल की धड़कन बन गए. फिल्म के दौरान सनी और अमृता करीब आए, लेकिन देओल परिवार की पारंपरिक सोच और सामाजिक अंतर इस रिश्ते के आड़े आ गया. यह जोड़ी भी जल्द ही अलग हो गई.

5. सलमान खान – भाग्यश्री (मैंने प्यार किया, 1989)

राजश्री बैनर की यह फिल्म 80 के दशक के अंत में एक नई रोमांटिक धारा लेकर आई. फिल्म जबरदस्त हिट रही और सलमान-भाग्यश्री की जोड़ी घर-घर में मशहूर हो गई. 'दिल दीवाना', 'आते जाते', 'मेरे रंग में रंगने वाली' जैसे गाने हर युवा की आवाज बन गए. कहा जाता है कि शूटिंग के दौरान सलमान और भाग्यश्री के बीच नजदीकियां थीं, लेकिन फिल्म के तुरंत बाद भाग्यश्री ने अपने बचपन के दोस्त हिमालय से शादी कर ली, जिससे यह रिश्ता भी आगे नहीं बढ़ सका.

इन डेब्यू जोड़ियों के अलावा हिंदी सिनेमा में कुछ ऐसी भी जोड़ियां रहीं, जो कई फिल्मों में साथ नजर आईं, सुपरहिट रहीं, लेकिन उनका रिश्ता भी असल ज़िंदगी में मुकाम तक नहीं पहुंच पाया. 

राज कपूर और नरगिस- इन दोनों की जोड़ी 'आवारा', 'श्री 420' जैसी फिल्मों में अमर हो गई, लेकिन राज कपूर पहले से शादीशुदा थे, और यह प्रेम कहानी वहीं थम गई.

देव आनंद और सुरैया- दोनों की मोहब्बत परवान चढ़ी, लेकिन सुरैया की दादी को यह रिश्ता मंज़ूर नहीं था. फिर देव आनंद ने किसी और से विवाह कर लिया, और यह कहानी सिर्फ अफसाना बन कर रह गई.

अमिताभ बच्चन और रेखा- इनकी केमिस्ट्री 'सिलसिला', 'मुकद्दर का सिकंदर', 'सुहाग' जैसी फिल्मों में बेमिसाल रही. कहते हैं दोनों एक-दूसरे से मोहब्बत करते थे, लेकिन अमिताभ पहले ही जया भादुरी से शादी कर चुके थे. यह रिश्ता कभी खुलेआम स्वीकार नहीं हुआ, पर हर दर्शक उसकी गहराई महसूस करता रहा.

शत्रुघ्न सिन्हा और रीना रॉय- 70-80 के दशक में इनकी जोड़ी भी काफी लोकप्रिय रही. रीना रॉय से शत्रुघ्न सिन्हा के रिश्ते की चर्चा आम थी, लेकिन अंततः शत्रुघ्न ने पूनम सिन्हा से शादी कर ली, और रीना रॉय अकेली रह गईं.

जब तक सिनेमा है पर्दे पर बन रहे रिश्ते असल जिंदगी में उतरते रहेंगे पर देखना होगा की सिनेमा के परदे पर बनी जोड़ियों पर असल जिंदगी में लगा ये श्राप कब खत्म होता है .

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