
गायक जावेद अली हाल ही में विवादों में आ गए, जब फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज़ (एफडब्ल्यूआईसीई) ने उन्हें 31 अगस्त 2025 को दुबई ओपेरा में होने वाले एक कॉन्सर्ट के बारे में नोटिस भेजा. कहा गया कि इस कार्यक्रम में पाकिस्तानी कलाकार उस्ताद ग़ुलाम अली और आमिर ग़ुलाम अली भी शामिल हैं.
एफडब्ल्यूआईसीई का पत्र
29 जुलाई को भेजे गए पत्र में एफडब्ल्यूआईसीई ने लिखा कि पाकिस्तानी कलाकारों के साथ मंच साझा करना सरकार और सूचना-प्रसारण मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है. उन्होंने इसे शहीदों के बलिदान का अपमान बताते हुए कहा कि इससे देश की भावनाएँ आहत होती हैं. संगठन ने जावेद अली से तुरंत इस कार्यक्रम से नाम वापस लेने और सार्वजनिक रूप से दूरी बनाने की मांग की, वरना सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी.
जावेद अली का जवाब
8 अगस्त को जावेद अली ने अपने जवाब में कहा कि यह मामला एक गलतफ़हमी पर आधारित है. उन्होंने साफ किया कि यह कोई संयुक्त प्रस्तुति नहीं थी. न वे ग़ुलाम अली साहब के साथ गाने वाले थे और न ही मंच साझा करने वाले थे. यह एक टिकट वाला ग़ज़ल और सूफ़ी संगीत कार्यक्रम था, जिसमें अलग-अलग देशों के कलाकार अपनी-अपनी प्रस्तुति देते. हालांकि, विवाद की गंभीरता और एफडब्ल्यूआईसीई की भावनाओं का सम्मान करते हुए उन्होंने स्वेच्छा से कॉन्सर्ट से नाम वापस लेने का फैसला किया. जावेद अली ने यह भी कहा कि अगर कार्यक्रम के प्रारूप की सही जानकारी पहले होती, तो उनके इरादों पर सवाल नहीं उठते. उन्होंने दोहराया कि वे हमेशा राष्ट्रीय मूल्यों का सम्मान करते आए हैं और आगे भी करते रहेंगे.
विवादों की कड़ी
भारत में पाकिस्तानी कलाकारों की मौजूदगी को लेकर विवाद कोई नई बात नहीं है. हाल के महीनों में भी कई फिल्में इसी वजह से मुश्किल में फंसीं.
सरदार जी 3: इस पंजाबी फिल्म में पाकिस्तान की अभिनेत्री हानिया आमिर की मौजूदगी पर इतना विरोध हुआ कि यह भारत में रिलीज़ नहीं हो पाई, हालांकि विदेशों में इसे अच्छा रिस्पॉन्स मिला,
- अबिर गुलाल: इस फिल्म में पाकिस्तानी अभिनेता फवाद खान थे, लेकिन पांहलगाम हमले के बाद भारत में इसकी रिलीज़ रोक दी गई.
- Punjab '95: मानवाधिकार कार्यकर्ता जसवंत सिंह खालरा की ज़िंदगी पर बनी इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने 120 से ज़्यादा कट लगाने की शर्त रखी. विवाद इतना बढ़ा कि यह न सिर्फ भारत में, बल्कि किसी भी देश में रिलीज़ नहीं हो पाई.
इन ताज़ा घटनाओं से साफ है कि भारत–पाक कलाकार सहयोग का मुद्दा आज भी बेहद संवेदनशील है. जावेद अली का मामला इसी लंबे चले आ रहे विवाद की एक और मिसाल है, जहां कला और राजनीति आमने-सामने खड़ी नज़र आती हैं.
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