
रोमांटिक फिल्में वो जॉनर हैं जो कभी पुराना नहीं होता. दशक बदलते हैं, फिल्मों में कलाकारों के चेहरे बदलते हैं, मगर इश्क होने की खुशी और दिल टूटने का दर्द हर दौर में एक जैसा ही महसूस होता है. फर्क बस इतना होता है कि निर्देशक उसे कैसे परदे पर पेश करता है. वही बनता है फिल्म का नया रंग. इतिहास गवाह है कि हर दौर में एक न एक ऐसी प्रेम कहानी आती है जो युवाओं को भीतर तक झकझोर देती है. जब दिल टूटता है, तो इन्हीं प्रेम कहानियों के गाने उनके जख्मों पर मरहम बनते हैं और जब मोहब्बत होती है, तो इन फिल्मों के गीत ही उनके जज़्बात बयां करते हैं.
हर पीढ़ी के युवाओं को परदे पर किसी न किसी नए जोड़े की प्रेम कहानी ने प्रेरित किया है. जैसे आज के युवा ‘सैयारा' में नजर आ रही नई जोड़ी से प्रभावित हो रहे हैं. आइए नजर डालते हैं कुछ ऐसी ही फिल्मों पर जिन्होंने न सिर्फ नए चेहरों को लॉन्च किया बल्कि दर्शकों के दिलों में हमेशा के लिए जगह बना ली.
1. बॉबी (1973)
राज कपूर ‘मेरा नाम जोकर' की असफलता के बाद आर्थिक संकट से जूझ रहे थे. ऐसे में उन्होंने अपने बेटे ऋषि कपूर और नई अभिनेत्री डिंपल कपाड़िया को लेकर ‘बॉबी' बनाई. कम बजट में बनी यह फिल्म एक शानदार हिट साबित हुई. “मैं शायर तो नहीं” जैसे गीत आज भी याद किए जाते हैं. ऋषि कपूर चाहते थे कि इस गाने के लिए कोरियोग्राफर हो, लेकिन राज कपूर ने कहा, “इश्क को नाचने की जरूरत नहीं, महसूस करो.”
2. एक दूजे के लिए (1981)
कमल हासन जो दक्षिण भारत में पहले से स्टार थे, हिंदी फिल्मों में पहली बार नजर आए. उनकी जोड़ी बनी रति अग्निहोत्री के साथ और फिल्म की कहानी थी उत्तर और दक्षिण भारत की सांस्कृतिक टकराहट पर. कमल का किरदार तमिल था और हिंदी बोलने में उसे दिक्कत होती है, इसीलिए एक गीत “सत्यम शिवम सुंदरम” तैयार किया गया जिसमें केवल हिंदी फिल्मों के नामों को ही गानों की तरह पिरोया गया. निर्देशक और गीतकार चाहते थे कि यह गीत ये बात स्थापित कर दे कि भले ही किरदार को हिंदी न आती हो, पर उसे हिंदी फिल्मों के नाम याद होना स्वाभाविक है. यह अनोखी कल्पना दर्शकों को खूब भाई और फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित हुई.
3. हीरो (1983)
यह फिल्म भले ही मीनाक्षी शेषाद्रि की पहली हिट रही हो, लेकिन वह इससे पहले ‘पेंटर बाबू' जैसी फिल्मों में नजर आ चुकी थीं. असल में इस फिल्म से जैकी श्रॉफ को पहचान मिली. दिलचस्प बात यह है कि जैकी को सबसे पहले देव आनंद ने फिल्म ‘स्वामी दादा' में एक छोटा सा रोल दिया था. वहीं से सुभाष घई की नजर उन पर पड़ी और उन्होंने जैकी को सीधे ‘हीरो' का हीरो बना दिया. फिल्म का संगीत सुपरहिट रहा, खासकर “लंबी जुदाई” और “डिंग डॉन्ग ओ बेबी सिंग सॉन्ग्स” ने दर्शकों का दिल जीत लिया.
4. बेताब (1983)
सनी देओल और अमृता सिंह की यह पहली फिल्म थी. फिल्म में पहाड़ी लोकेशंस, जबरदस्त कैमिस्ट्री और गाने दर्शकों को बहुत पसंद आए. “जब हम जवां होंगे” और “सावन क्यों बारसता है” जैसे गाने आज भी याद किए जाते हैं. शूटिंग के दौरान सनी देओल रोमांटिक सीन करते वक्त अपने पिता की मौजूदगी से थोड़े संकोच में रहते थे.
5. कयामत से कयामत तक (1988)
आमिर खान और जूही चावला की यह पहली बड़ी फिल्म थी. सीधी-सादी मगर असरदार प्रेम कहानी, जो युवाओं के दिल में उतर गई. फिल्म के गाने “पापा कहते हैं”, “ऐ मेरे हमसफर” आज भी कॉलेज लाइफ के साथ जोड़े जाते हैं. रोचक बात यह है कि फिल्म की रिलीज से पहले आमिर ख़ान खुद पोस्टर लेकर सड़कों पर चिपकाते थे और फिल्म का प्रचार करते थे. उनका यह जुनून रंग लाया और फिल्म बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त हिट हुई.
6. आशिकी (1990)
महेश भट्ट की इस फिल्म से राहुल रॉय और अनु अग्रवाल की जोड़ी सामने आई।
फिल्म की सबसे बड़ी ताकत था उसका संगीत—“धीरे धीरे से”, “नज़र के सामने” और “अब तेरे बिन जी लेंगे हम” जैसे गीत हर मोहब्बत करने वाले की ज़ुबान पर चढ़ गए।
राहुल रॉय का हेयरस्टाइल भी युवाओं में ट्रेंड बन गया था।
अनु अग्रवाल का करियर ज़्यादा लंबा नहीं रहा क्योंकि एक गंभीर एक्सीडेंट के बाद उन्होंने फिल्मों से दूरी बना ली।
7. सनम तेरी कसम (2016)
हर्षवर्धन राणे और मावरा हुसैन की यह पहली फिल्म एक भावुक प्रेम कहानी थी. रिलीज के वक्त फिल्म ज्यादा नहीं चली, लेकिन कुछ साल बाद जब इसे सिनेमा घरों में दोबारा रिलीज किया गया, तो दर्शकों ने इसे सर आंखों पर बैठा लिया. फिल्म के गाने जैसे “तू खींच मेरी फोटो” और “हाले दिल” खासकर युवा दर्शकों को पसंद आए. री-रिलीज में फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई की और चर्चा में आ गई.
8. लैला मजनू (2018)
तृप्ति डिमरी और अविनाश तिवारी की यह पहली फिल्म थी, जिसे इम्तियाज अली ने प्रस्तुत किया था. रिलीज के समय फिल्म को सीमित सफलता मिली, लेकिन जब कुछ समय बाद इसे थिएटर में दोबारा रिलीज किया गया, तो दर्शकों ने इसे फिर से सराहा. फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और संवादों को धीरे-धीरे सराहना मिलने लगी और री-रिलीज में इसने अपनी लागत निकाल ली. इस फिल्म से फिल्म जगत में आयीं तृप्ति डिमरी आज एक बड़ी स्टार बन चुकी हैं वहीं वहीं फिल्म के हीरो अविनाश तिवारी भी फिल्मों में काफी काम कर रहे हैं.
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