ऋषि कपूर ने अपनी किताब 'खुल्लम खुल्ला' में अपने और अपनी फैमिली के बारे में बहुत सी बातों का खुलासा किया था. उन्होंने नरगिस और वैजयंतीमाला के साथ अपने पिता के रिलेशन के बारे में भी लिखा था. इसमें उन्होंने लिखा कि उनके पिता राज कपूर के नरगिस के साथ संबंध थे, दोनों के संबंधों के बारे में परिवार को पता था और इसके बाद भी घर में कुछ नहीं बदला. हालांकि वैजयंतीमाला की बात आई तो उनकी मां कृष्णा राज कपूर ने विरोध करना शुरू कर दिया.
ऋषि कपूर लिखते हैं, मैं बहुत छोटा था, जब मेरे पिता का नरगिस जी के साथ अफेयर था. इसलिए मैं उनके रिश्ते से प्रभावित नहीं हुआ. मुझे याद नहीं है कि घर में इस कारण से कुछ हुआ हो, लेकिन मुझे याद है कि जब पापा वैजयंतीमाला से जुड़े थे, तो मेरी मां ने विरोध किया और हम मरीन ड्राइव के नटराज होटल में रहे और वहां से हम दो महीने के लिए चित्रकूट के एक अपार्टमेंट में शिफ्ट हो गए. मेरी मां ने तब तक हार नहीं मानी, जब तक कि उसने अपने जीवन के उस अध्याय को समाप्त नहीं कर दिया.
हालांकि बाद में वैजयंतीमाला ने इस अफेयर को फिल्म प्रमोशन के लिए एक चाल बताया था. ऋषि लिखते हैं कि कुछ साल पहले प्रकाशित एक इंटरव्यू में वैजयंतीमाला ने मेरे पिता के साथ कभी संबंध होने से इनकार किया. उन्होंने दावा किया पब्लिसिटी के लिए ऐसा किया गया. मैं भड़क गया था. दिखाओ कि अफेयर कभी नहीं हुआ? उन्हें तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का कोई अधिकार नहीं था, क्योंकि वह अब सच्चाई बयां करने के लिए मौजूद नहीं हैं.
जब किताब सामने आई, तो मीडिया के कई दोस्तों ने मेरा रिएक्शन जानना चाहा. समय के साथ मेरा गुस्सा शांत हुआ. मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि अगर पापा जीवित होते, तो वह वैजयंती माला के साथ अफेयर को इतने खुले तौर पर नकारते नहीं तो वह बेनकाब हो जाते. वह प्रचार के लिए भूखे नहीं थे. मेरे पिता अपना ज्यादातर समय अपनी शर्तों पर जीते थे.
बता दें कि राज कपूर और वैजयंतीमाला ने नजराना (1961) और संगम (1964) में एक साथ काम किया. नजराना का निर्देशन सीवी श्रीधर ने किया था, वहीं संगम का निर्देशन और निर्माण राज कपूर ने किया था. फिल्म में राजेंद्र कुमार भी थे.
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