
हिंदी सिनेमा में अब तक कई सदाबहार फिल्में आ चुकी है. कुछ फिल्में तो ऐसी रही हैं, जिन्हें दर्शक हमेशा देखना पसंद करते हैं. आज हम आपको बॉलीवुड की एक ऐसी ही फिल्म के बारे में बताने वाले हैं, जिसे 40 साल हो चुके हैं और आज भी इस फिल्म को देखने का क्रेज खत्म नहीं हुआ है. इस फिल्म का नाम "राम तेरी गंगा मैली" है. इश फिल्म को 25 जुलाई को 40 साल पूरे हो चुके हैं.1985 में रिलीज हुई इस फिल्म ने दर्शकों के दिलों में खास जगह बनाई थी. राज कपूर के निर्देशन में बनी इस फिल्म का बजट उस समय 1.44 करोड़ रुपये था, और इसने बॉक्स ऑफिस पर 19 करोड़ रुपये की शानदार कमाई की थी. यह फिल्म अपनी कहानी, गानों और सामाजिक संदेश के लिए आज भी याद की जाती है.
हाल ही में फिल्म के अभिनेता रजा मुराद ने एनडीटीवी के साथ बातचीत में शूटिंग के कुछ मजेदार किस्से साझा किए. उन्होंने बताया कि "राम तेरी गंगा मैली" के निर्देशक राज कपूर शूटिंग के दौरान सेट पर डोली में बैठकर आया करते थे. यह सुनकर शायद आपको हैरानी हो, लेकिन उस समय राज कपूर की तबीयत खराब रहने लगी थी. जिसके चलते उन्हें ज्यादा चलने-फिरने में दिक्कत होती थी. इस "राम तेरी गंगा मैली" के सेट पर राज कपूर डोली से आया करते थे.

"राम तेरी गंगा मैली" में मंदाकिनी और राजीव कपूर मुख्य भूमिकाओं में थे. फिल्म की कहानी गंगा नदी की पवित्रता और एक महिला की जीवन यात्रा के इर्द-गिर्द घूमती है. इसके गाने, जैसे "सुन साहइबा सुन" और "एक राधा एक मीरा", आज भी लोगों की जुबान पर हैं. इस फिल्म ने न केवल कमाई के मामले में सफलता हासिल की, बल्कि सामाजिक मुद्दों को भी उजागर किया. रजा मुराद ने इस मौके पर फिल्म से जुड़ी यादों को ताजा करते हुए कहा कि यह उनके करियर की सबसे यादगार फिल्मों में से एक है. 40 साल बाद भी यह फिल्म दर्शकों के दिलों में जिंदा है.
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