बॉलीवुड के ग्रीक गॉड ऋतिक रोशन के पिता राकेश रोशन फेमस एक्टर होने के साथ ही जाने-माने निर्देशक भी हैं. अपनी मेहनत और लगन से इंडस्ट्री में नाम कमाने वाले राकेश रोशन ने 1970 में फिल्म 'घर-घर की कहानी' से बॉलीवुड में एंट्री ली. कुछ फिल्मों में एक्टिंग करने के बाद उन्होंने फिल्म डायरेक्शन में हाथ आजमाने लगे. कुछ ही दिन में टॉप डायरेक्टर्स में शुमार हो गए. आपने नोटिस किया होगा कि डायरेक्टर राकेश रोशन की हर फिल्म का नाम 'क' से ही शुरू होता है. क्या आप इसके पीछे की कहानी जानते हैं. अगर नहीं तो चलिए आपको बताते हैं.
राकेश रोशन की हर फिल्म की शुरुआत 'क' से क्यों होती है
हम सभी जानते हैं कि बॉलीवुड में कई फिल्मी हस्तियां अंधविश्वास को मानती हैं. कई फिल्म निर्माता भी ऐसे हैं, जिन्हें लगता है कि फिल्में फलां तारीख पर रिलीज होंगी तो सुपरहिट होंगी. कुछ अपनी फिल्म के टाइटल में एक निश्चित अक्षर लगाते हैं. राकेश रोशन के साथ भी ऐसा ही है. राकेश रोशन की ज्यादातर हिट फिल्मों के नाम 'क' अक्षर के शुरू होता है. इसके पीछे भी एक खास वजह है. आखिर क्या है राकेश रोशन और के अक्षर का कनेक्शन जानते हैं.
राकेश रोशन और 'क' का कनेक्शन
1984 में राकेश रोशन अपनी फिल्म 'जाग उठा इंसान' को लेकर काफी बिजी चल रहे थे. तब उनके एक फैन ने उन्हें लेटर लिखा, जिसमें उसने कहा कि राकेश को अपनी सभी फिल्मों के नाम 'क' अक्षर से शुरू करना चाहिए. उस वक्त राकेश ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया लेकिन साल 1986 में 'भगवान दादा' रिलीज हुई लेकिन फिल्म बॉक्स ऑफिस पर खास कमाल नहीं दिखा पाई. तब राकेश को लेटर पर लिखी बात याद आई. ऐसा इसलिए भी क्योंकि उनकी फिल्म 'खट्टा मीठा' और 'खंडन' हिट रही थी. उनके नाम भी 'क' से शुरू होते थे.
राकेश रोशन की 'क' अक्षर वाली फिल्में
इसके बाद राकेश रोशन ने सोचा क्यों न लेटर में लिखी बात मानी जाए. 1987 में फिल्म 'खुदगर्ज' रिलीज हुई जो सुपरहिट रही. तब से राकेश रोशन ने ठान लिया कि अपनी हर फिल्म का नाम 'क' अक्षर से ही शुरू करेंगे. इसके बाद उनकी 'खून भरी मांग', 'काला बाजार', 'किशन कन्हैया', 'करण अर्जुन', 'कहो ना प्यार है', 'कोई मिल गया', 'कृष' और 'कृष 3' जैसी फिल्में आईं और जमकर कमाई की.
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