
ओम राउत ने WAVES 2025 के दूसरे दिन ‘चेंजिंग फेस ऑफ़ इंडियन सिनेमा ' नामक सत्र में भाग लिया. समिट के दौरान फिल्म निर्माता ने अपनी फिल्मों की बॉक्स ऑफिस परफॉर्मेंस और साउथ फिल्मों के दर्शकों में उनकी लोकप्रियता को लेकर कई दिलचस्प बातें साझा कीं.उन्होंने कहा, “हम 140 करोड़ से अधिक लोगों का देश हैं, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा बाजार माना जाता है. चाहे कार ब्रांड हों, टूथपेस्ट, चॉकलेट्स या रेस्टोरेंट्स – सभी वैश्विक ब्रांड भारत में अपने उत्पाद बेचने और दुकानें खोलने की कोशिश कर रहे हैं. इसका मतलब है कि हम दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार हैं. हम अपनी भावनाओं, अपने ब्रांड्स, अपनी कंटेंट खपत की आदतों को किसी और से बेहतर जानते हैं.”
उन्होंने आगे कहा, “कहा जाता है कि ग्लोबल सोचो, लोकल काम करो. मुझे लगता है कि यही सही समय है इसे अपनाने का. हमारे पास दुनिया की सबसे बेहतरीन तकनीक है, बेहतरीन दिमाग हैं, जो वैश्विक स्तर पर काम कर सकते हैं. हमारे पास बेहतरीन कलाकार, शानदार फिल्म निर्माता और तकनीशियन हैं और हमारे पास दर्शक भी हैं. पहले हमें अपने ही क्षेत्र में लोकप्रिय होना चाहिए, फिर उसी आधार पर हम वैश्विक दर्शकों तक पहुंच सकते हैं. ओम राउत ने आगे कहा, “अब तक का सबसे सफल यूनिवर्स मार्वल सिनेमैटिक यूनिवर्स रहा है. मार्वल की वजह से अपने चरम पर डिज़्नी ने वैश्विक बॉक्स ऑफिस का 23% योगदान दिया. यानी दुनियाभर में बेचे गए टिकटों में से 23% टिकट मार्वल या डिज़्नी फिल्म के लिए थे. इसका मतलब है कि नेब्रास्का का एक बच्चा वही कंटेंट देख रहा है जो मुंबई में विक्रांत और उसकी टीम देख रही है. उसी तरह, विराट कोहली पूरे भारत में लोकप्रिय हैं.”
उन्होंने कहा, “जब एक जैसा कंटेंट पूरी दुनिया में देखा जा सकता है तो अगर हम अपने कंटेंट को थोड़ा सा मोडिफाई करें, तो वह ग्लोबल दर्शकों के लिए भी सुलभ हो जाएगा. आखिरकार, एक कलाकार की भूख होती है ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचने की.” ओम राउत ने कहा, “मैं नंबर इसलिए बता रहा हूं ताकि यह अंदाजा लगाया जा सके कि कितने लोगों ने इसे देखा. मेरी पहली फिल्म मराठी में थी, जिसका नाम था लोकमान्य: एक युगपुरुष (2015)था, इसने महाराष्ट्र में 14 करोड़ रुपये की कमाई की. बहुत कम गैर-मराठी भाषी लोगों ने फिल्म देखी. फिल्म ने बेंगलुरु, इंदौर और दिल्ली में थोड़ी कमाई की. मुझे एहसास हुआ कि मेरी भाषा में बनी विशेष फिल्मों की कुछ मांग थी. मैं बहुत खुश था कि साउथ मुंबई का एक बच्चा मराठी फिल्म बनाता है और वह बेंगलुरु में देखी जाती है. यह बहुत संतोषजनक था.”
तानाजी: द अनसंग वॉरियर के बारे में बात करते हुए उन्होंने बताया, “तानाजी (2020) ने कुल 300 करोड़ रुपये की कमाई की, जिसमें से आंध्र प्रदेश-तेलंगाना के तेलुगु भाषी राज्यों से 14 करोड़ रुपये आए. हिंदी फिल्में वहां सामान्यतः इतनी कमाई नहीं करतीं. एक हिंदी फिल्म आमतौर पर वहां 4-5 करोड़ रुपये कमाती है, लेकिन हमारी फिल्म ने 14 करोड़ रुपये की कमाई की.”
उन्होंने आगे बताया, “फिर मैंने अपनी तीसरी फिल्म बनाई, आदिपुरुष (2023). इसे हिंदी और तेलुगु में एकसाथ शूट किया गया. फिल्म की रिलीज से पहले ही तेलुगु बाजार के अधिकार 120 करोड़ रुपये में बिक चुके थे. इसका मतलब है कि इतनी बड़ी संख्या में लोगों ने फिल्म देखी. उन्होंने आगे कहा, “एक कलाकार की जरूरत होती है ज़्यादा से ज़्यादा दर्शकों तक पहुंचना. अगर हम अपनी स्थानीय कहानियों को सच्चे मन से और मजबूती से कहें, तो वे पूरी दुनिया में गूंजेंगी.”
तकनीकी उन्नति पर बात करते हुए ओम राउत ने कहा, “फिल्म निर्माण में VFX, वर्चुअल प्रोडक्शन और AI का उपयोग भविष्य नहीं है . यह वर्तमान है. लेकिन हमें इसे सांस्कृतिक गहराई और भावनात्मक जुड़ाव के साथ संतुलित करना होगा.”
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं