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ना कपूर-ना रोशन यह है बॉलीवुड के पहले चाइल्ड आर्टिस्ट, 111 साल पहले रिलीज हुई फिल्म में किया था डेब्यू

किसी भी फिल्म में चाइल्ड आर्टिस्ट की भूमिका भी बहुत जरूरी होती है, उनका रोल करवाने के लिए बच्चों को काफी मेहनत करनी पड़ती है. लेकिन कभी आपने सोचा है कि बॉलीवुड के पहले चाइल्ड आर्टिस्ट कौन थे?

ना कपूर-ना रोशन यह है बॉलीवुड के पहले चाइल्ड आर्टिस्ट, 111 साल पहले रिलीज हुई फिल्म में किया था डेब्यू
ना कपूर-ना रोशन यह है बॉलीवुड के पहले चाइल्ड आर्टिस्ट
नई दिल्ली:

बॉलीवुड इंडस्ट्री में कई फिल्में ऐसी है, जो बाल कलाकार यानी कि चाइल्ड आर्टिस्ट के बिना पूरी नहीं हो सकती है. लीड एक्टर एक्ट्रेस के साथ इनका रोल भी बहुत इंपोर्टेंट होता है. दशकों से हम बड़े पर्दे पर कई छोटे बच्चों को एक्टिंग करते हुए देखते आए हैं और फिर उन्हें बड़े होकर फिल्म इंडस्ट्री में सफलता हासिल करते भी देखा हैं, लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि बॉलीवुड का पहला चाइल्ड आर्टिस्ट कौन था. इस ट्रेंड को शुरू करने के पीछे किसका हाथ था और कैसे उन्होंने इस छोटे से बच्चे से एक्टिंग कारवाई, आइए आपको बताते हैं.

यह थे बॉलीवुड के पहले चाइल्ड आर्टिस्ट

बॉलीवुड फिल्मों में चाइल्ड आर्टिस्ट का चलन किसी और ने नहीं बल्कि सिनेमा के दिग्गज दादा साहेब फाल्के ने शुरू किया था. उन्होंने अपनी पहली फुल लेंथ फीचर फिल्म के लिए एक चाइल्ड आर्टिस्ट को कास्ट किया था और यह चाइल्ड आर्टिस्ट कोई और नहीं बल्कि उनके बड़े बेटे भालचंद्र फाल्के खुद थे. 1913 में उन्होंने अपनी पहली फिल्म हरिश्चंद्र बनाई थीं, जिसमें चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में किसी और ने नहीं बल्कि उनके बड़े बेटे भालचंद्र फाल्के ने रोल किया था, वह उस समय केवल 7 साल के थे. दादा साहेब फाल्के के बेटे नहीं बल्कि उनकी बेटी मंदाकिनी भी पहली फीमेल चाइल्ड आर्टिस्ट बनीं, उन्होंने 1919 में दादा साहेब फाल्के की कालिया मर्दन फिल्म में डेब्यू किया था.

7 साल की उम्र में भालचंद्र ने किया आईकॉनिक रोल प्ले

दादा साहेब फाल्के के बेटे भालचंद्र ने फिल्म हरिश्चंद्र में राजा हरिश्चंद्र और तारामती के बेटे रोहिदास का किरदार निभाया था. यह आईकॉनिक फिल्म 6 महीने और 27 दिन में बनाई गई थी. बताया जाता है कि इस फिल्म को बनाने के लिए कुल ₹15000 का खर्चा आया था, जिसका प्रीमियम अप्रैल 2019 में मुंबई के ओलंपिया थिएटर में हुआ था और यह फिल्म सुपरहिट रही थी. इस फिल्म को इंडियन फिल्म इंडस्ट्री की नींव कहते हैं. भारत सरकार ने भी राजा हरिश्चंद्र को पहली फीचर फिल्म के रूप में मान्यता दी हैं. 

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