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This Article is From Aug 06, 2023

कभी उंगलियां जलीं तो कभी गर्म तेल की छींटे पड़े...जैसे-तैसे समोसे बेचे, ऐसा था इस मशहूर कॉमेडियन का संघर्ष

मुनव्वर ने याद किया कैसे उसकी मां और दादी समोसे बनाती थीं और वह उन्हें बेचते थे. पिता के कर्ज की वजह से पढ़ाई पूरी करना मुश्किल हो गया था.

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कभी उंगलियां जलीं तो कभी गर्म तेल की छींटे पड़े...जैसे-तैसे समोसे बेचे, ऐसा था इस मशहूर कॉमेडियन का संघर्ष
मुनव्वर फारुकी
नई दिल्ली:

मुनव्वर फारुकी पिछले कुछ सालों में कॉमेडी और स्टैंडअप सर्किट में एक जाना पहचाना नाम बन गए हैं. कंगना रनौत के शो 'लॉकअप' के पहले सीजन में वो विनर भी रहे. फिलहाल वो एक इंटरव्यू को लेकर चर्चा में हैं जिसमें उन्होंने अपनी लाइफ के स्ट्रगल के बारे में बात की. मुनव्वर ने मैशेबल के साथ एक खास बातचीत में अपनी शुरुआत के बारे में बात की और बताया कि कैसे उन्हें अपने परिवार को फाइनैंशियली सपोर्ट करने के लिए अपनी पढ़ाई छोड़नी पड़ी. मुनव्वर ने बताया कि कुछ पैसे कमाने के लिए उन्होंने ठेले पर समोसे भी बेचे हैं.

ठेले पर समोसे बेचते थे मुनव्वर ?

मुनव्वर ने याद किया कैसे उसकी मां और दादी समोसे बनाती थीं और वह उन्हें बेचते थे. पिता के कर्ज की वजह से पढ़ाई पूरी करना मुश्किल हो गया था. मुनव्वर ने कहा,  “हमारे पास एक रेस्त्रां था लेकिन वो चला नहीं. पिताजी ने अपना सारा पैसा खो दिया...वो भारी कर्ज में डूब गए थे इसलिए मुझे काम करना पड़ा. मैंने दो महीने तक एक गिफ्ट शॉप पर सुबह 9 बजे से रात 8 बजे तक काम किया. हर दिन 11 घंटे काम करके मैंने महीने के ₹850 कमा रहा था. मुझे दुकान जाने के लिए 3.5 किलो मीटर पैदल चलना पड़ता था. मुझे काम समझ नहीं आ रहा था तब हमने कुछ और करने का फैसला किया." 

उन्होंने आगे कहा, “मेरी मां और दादी घर पर समोसे बनाती थीं और मैंने अपने घर के बाहर एक स्टॉल शुरू किया. वहां मैं उन्हें तलकर बेचता था. यह एक संघर्ष था. मेरी उंगलियां जल गईं...मेरे ऊपर गर्म तेल के छींटे पड़े...लेकिन समय के साथ मैं सब सीख गया और यह बिजनेस चल निकला."

मां के निधन पर मुनव्वर फारुकी

मुनव्वर ने 2022 में लॉक अप के एक एपिसोड में अपने घर की तंगियों के बारे में भी बात की थी. तब उन्होंने 2007 में अपनी मां के निधन के बारे में खुलकर बात की थी. उन्होंने कहा था, “मेरी मां हमारे घर को चलाने के लिए चकली (एक तरह की नमकीन) बनाती थी लेकिन मेरे पिता और दादी के साथ चीजें बहुत अलग थीं. उस घर में मेरी मां को सम्मान नहीं मिलता था. मेरे पूरे परिवार ने मेरी बहन की शादी के लिए उसे दोषी ठहराया. मेरी मां पर ₹3,500 का कर्ज था. मुझे अब भी पछतावा है कि मैं उसके साथ क्यों नहीं सोया, मैं वहां पहले क्यों नहीं पहुंचा और उस समय मेरे पास ₹3,500 क्यों नहीं थे. यह एक वजह नहीं थी कि मेरी मां ने यह फैसला लिया, कई कारण थे. वह मजबूत थी...लेकिन मुझे आज भी इस बात का अफसोस है कि जब मैंने उसे कुछ दिनों तक शांत देखा तो मैंने उससे नहीं पूछा.

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