International Labour Day 2019: एक मई (1st May) का दिन मजदूर दिवस (Ladour Day) के तौर पर मनाया जाता है. पिछले 132 साल से अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस (International Worker's Day) मनाया जाता है. 1877 में मजदूरों ने काम के घंटे तय करने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया. एक मई 1886 को पूरे अमेरिका के लाखों मजदूरों ने एक साथ हड़ताल शुरू की. इस हड़ताल में 11,000 फैक्टरियों के कम से कम 3,80,000 मजदूर शामिल हुए और इस तरह पहली मई को मजदूर दिवस (Mazdoor Diwas या International Labour Day) के रूप में मनाने की शुरूआत हुई. मजदूरों के हालात और जिंदगी को लेकर उर्दू में कई तरह की शायरी लिखी गई है. उर्दू के कुछ मशहूर शायरों के मजदूर दिवस (Labour Day) को चुनिंदा शेरः
सो जाते हैं फ़ुटपाथ पे अख़बार बिछा कर
मज़दूर कभी नींद की गोली नहीं खाते
मुनव्वर राना
बोझ उठाना शौक़ कहाँ है मजबूरी का सौदा है
रहते रहते स्टेशन पर लोग क़ुली हो जाते हैं
मुनव्वर राना
खून मजदूर का मिलता जो न तामीरों में
न हवेली न महल और न कोई घर होता
हैदर अली जाफरी
कुचल कुचल के न फुटपाथ को चलो इतना
यहां पे रात को मजदूर ख्वाब देखते हैं
अहमद सलमान
लोगों ने आराम किया और छुट्टी पूरी की
यकुम मई को भी मजदूरों ने मजदूरी की
अफजल खान
नींद आएगी भला कैसे उसे शाम के बा'द
रोटियां भी न मयस्सर हों जिसे काम के बा'द
अज्ञात
पेड़ के नीचे जरा सी छांव जो उस को मिली
सो गया मजदूर तन पर बोरिया ओढ़े हुए
शारिब मौरान्वी
सो जाते हैं फ़ुटपाथ पे अखबार बिछा कर
मजदूर कभी नींद की गोली नहीं खाते
मुनव्वर राना
ज़िंदगी अब इस कदर सफ़्फ़ाक हो जाएगी क्या
भूक ही मजदूर की खूराक हो जाएगी क्या
रजा मौरान्वी
तू कादिर ओ आदिल है मगर तेरे जहां में
हैं तल्ख बहुत बंदा-ए-मजदूर के औकात
अल्लामा इकबाल
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