
बॉलीवुड इस समय बॉक्स ऑफिस पर सूखे का सामना कर रहा है, इस साल सिर्फ दो फिल्में ही सफल हो पाई हैं. इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक इंटरव्यू में एक्टर रणदीप हुड्डा ने हिंदी सिनेमा में संकट पर अपने विचार रखे और इंडस्ट्री के भेड़चाल वाले रवैये की आलोचना की. उन्होंने साउथ के फिल्म मेकर्स की अपनी कल्चरल जड़ों की तरफ सच्चे रहने के लिए तारीफ भी की. रणदीप ने बॉलीवुड की 'भेड़ चाल' की आलोचना करते हुए कहा, "यह सोशल मीडिया का चलन है. एक या दो बार फिर से रिलीज हुई फिल्मों ने अच्छा परफॉर्म किया है. इसका मतलब यह नहीं है कि सब कुछ ठीक चल रहा है. अगर एक चीज सफल होती है तो इसी तरह के प्रोजेक्ट्स बनने लगते हैं. सबको वही बनाना है. अभी सबको स्त्री के बाद हॉरर कॉमेडी बनाना है. एक एक्टर के तौर पर मुझे नहीं लगता कि यह पैरामीटर होना चाहिए. इंडस्ट्री कई वजह से संकट का सामना कर रही है. अब फिल्म मेकिंग नहीं, बल्कि बहुत सी फिल्में बन रही हैं. हमने खुद को आइवरी टॉवर में थोड़ा अलग-थलग कर लिया है. एक्सपेरिमेंट के लिए बहुत कम जगह है."
उन्होंने आगे कहा कि कहानी कहने में एक्सपेरिमेंट अब केवल ओटीटी प्लेटफॉर्म पर संभव है. हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि ये प्लेटफॉर्म भी ऐसे कंटेंट को प्रायौरिटी देते हैं जो बड़े दर्शकों को अट्रैक्ट करती हैं. रणदीप मेनस्ट्रीम और एक्सपेरिमेंटल प्रोजेक्ट के बीच बैलेंस बनाने की उम्मीद करते हैं. ऐसे टॉपिक चुनते हैं जो दर्शकों को पसंद आते हैं.
रणदीप हुड्डा ने दक्षिण के फिल्म मेकर्स की तारीफ की
साउथ इंडियन फिल्म मेकर्स की तारीफ करते हुए रणदीप ने कहा कि उनकी कहानी मूल मानवीय भावनाओं पर फोकस्ड है जिससे उनकी फिल्में ज्यादा रेलेवेंट बनती हैं. उन्होंने कहा, "वे हमारी फिल्में ही बना रहे हैं लेकिन ज्यादा असल कैरेक्टराइजेशन के साथ. पुष्पा के पास सिक्स-पैक एब्स नहीं हैं - उसकी दाढ़ी है और उसका कंधा टेढ़ा है. वे कैरेक्टर-बेस्ड फिल्में नहीं बना रहे हैं. लेकिन लोग फिल्में या ओटीटी कंटेंट देखना बंद नहीं करने वाले हैं - यह सिर्फ बदलाव का एक फेज है."
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