सुपरस्टार ऋतिक रोशन ने सिद्धार्थ आनंद द्वारा निर्देशित और आदित्य चोपड़ा द्वारा निर्मित दिल की धड़कनें बढ़ा देने वाली अपनी एक्शन एंटरटेनर ‘वार' से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया था. यह विजुअल स्पेक्टेकल भारतीय सिनेमा के इतिहास की एक आल-टाइम ब्लॉकबस्टर साबित हुई थी. इस जबरदस्त हिट फिल्म की दूसरी सालगिरह के मौके पर ऋतिक ने ‘वार' की स्क्रिप्ट के बारे में अपनी सबसे पहली प्रतिक्रिया का खुलासा किया. वह कहते हैं, 'हां, यह एक जटिल प्रतिक्रिया थी. जब मैंने स्क्रिप्ट पढ़ी, तो मुझे उसमें ऐसा कुछ भी नहीं दिखाई दिया, जिससे मैं उत्साहित हो जाता. यह बहुत ही हल्की और सतही-सी चीज थी...और उस वक्त मैं ‘सुपर 30' जैसे 'रियल' सिनेमा की दुनिया में डूबा हुआ था. मेरी प्रतिक्रिया सुनकर सिड और आदि दोनों भागकर मेरे घर आए और मुझे इस फिल्म को ढंग से समझने में महज 5 मिनट का समय लगा. आदि का कहना था कि इसे मैं ‘धूम: 2' जैसी एंटरटेनर की नजर से देखूं'.
ऋतिक बताते हैं, 'इसके बाद हम जमकर बैठे और पूरी स्क्रिप्ट को दोबारा देखना शुरू किया. इस बार मुझे भरपूर मजा आया और अपनी नादानी का एहसास भी हुआ. कभी-कभी यह समझना जरूरी हो जाता है कि डायरेक्टर स्क्रिप्ट की व्याख्या किस प्रकार से करना चाहता है. सिड के साथ ‘बैंग बैंग' में काम करने के चलते मुझे उनकी बातों पर भरोसा हो गया. मैंने इसे कबीर वाले किरदार के दम पर फिल्म में वजन और गहराई पैदा करने के अवसर की तरह देखा, जो आम तौर पर ऐसी एक्शन फिल्मों में कहीं दिखाई नहीं पड़ता. इस पहलू ने वाकई मेरे अंदर जोश भर दिया. मेरे खयाल से ऐसी फिल्में, जो 'इतनी गहरी नहीं' होतीं, बनाने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि उनमें ऐसे किरदार मौजूद हों, जो वाकई काफी गहरे हों. तब तो मजा ही आ जाता है'.
ऋतिक ने अपने अब तक के काम की बदौलत खुद के लिए और इंडियन फिल्म इंडस्ट्री के लिए हमेशा नए बेंचमार्क स्थापित किए हैं. ‘वार' ने भी एक्शन, डांस और स्केल के मामले में बेंचमार्क स्थापित किए- यह फिल्म एक स्पेक्टेकल थी. यह पूछने पर कि उनको कौन-सी चीज जॉनर की सीमाएं लांघने वाला सुपरस्टार बनाती है, वह जवाब देते हैं, 'व्यक्तिगत रूप से मैं एडवेंचर का दीवाना हूं और यह दीवानगी कहीं न कहीं मेरे काम में और जिन लोगों के साथ मैं जुड़ता हूं, उन पर छलक जाती है. पेशेवर रूप से एक्टिंग को मैंने हमेशा अलग-अलग तरह की कहानियों और उन ऑनस्क्रीन किरदारों के माध्यम से जी कर देखा है, जो खुशकिस्मती से मुझे मिले हैं. मैं सहज भाव से फिल्में चुनता आया हूं, मुझे अलग मनोविज्ञान, व्यक्तित्व और अनुभवों के सहारे खुद को तलाशने और डूब जाने में आनंद मिलता है'.
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