विज्ञापन

एक हिट फिल्म के लिए 8 से 10 फ्लॉप दे रहा हिंदी सिनेमा, तरण आदर्श ने बताया कैसे कामयाब हो सकती है हिंदी फिल्में

हिंदी सिनेमा को एक हिट फिल्म देने के लिए तगड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है. फिल्म क्रिटिक तरण आदर्श ने वो फॉर्मूला बताया है जिससे हिंदी सिनेमा को कामयाबी मिल सकती है.

एक हिट फिल्म के लिए 8 से 10 फ्लॉप दे रहा हिंदी सिनेमा, तरण आदर्श ने बताया कैसे कामयाब हो सकती है हिंदी फिल्में
तरण आदर्श से जानें कैसे सुधरेंगे बॉलीवुड के हालात
नई दिल्ली:

हिंदी फिल्मों का लगातार फ्लॉप होना चिंता का विषय बनता जा रहा है. बैक टू बैक फिल्में फ्लॉप हो रही हैं, जिनकी एक बड़ी वजह दर्शकों से कनेक्ट ना बन पाना है. सलमान खान की सिकंदर इस कड़ी में नई मिसाल है जिसने दर्शकों को निराश किया है. फिल्म क्रिटिक तरण आदर्श ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के ताजा हालात को लेकर चिंता जताई है. तरण आदर्श का कहना है कि पहले के मुकाबले आज सफल फिल्मों की संख्या काफी कम हो गई है. जहां पहले हिट फिल्में आम थीं, वहीं अब एक सफल फिल्म के लिए आठ से दस फिल्में असफल हो रही हैं. यह बॉलीवुड के लिए चिंताजनक रुझान है. उनके अनुसार, सिनेमाघर खाली पड़े हैं क्योंकि फिल्में आम दर्शकों से जुड़ नहीं पा रही हैं. इंडस्ट्री यह समझने में नाकाम रहा है कि दर्शक वास्तव में क्या चाहते हैं.

तरण आदर्श का मानना है कि बॉलीवुड अब केवल महानगरों पर केंद्रित हो गया है, जिसके कारण छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों के दर्शक उपेक्षित महसूस करते हैं. इसके अलावा, कुछ फिल्मों के आसपास झूठी हाइप बनाई जाती है. सोशल मीडिया और मार्केटिंग के जरिए यह भ्रम फैलाया जाता है कि फिल्म रिकॉर्ड तोड़ ओपनिंग करेगी, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं होता. यह दर्शकों के भरोसे को तोड़ता है. पहले निर्माता और निर्देशक अभिनेताओं को अपनी कहानियां सुनाते थे, जिससे एक व्यक्तिगत जुड़ाव बनता था. लेकिन आज के अभिनेता अपने बनाए हुए बुलबुले में रहते हैं, जो वास्तविकता से कटे हुए हैं. फैसला अब कहानी की गहराई के बजाय सोशल मीडिया के आंकड़ों पर आधारित होते हैं.

तरण आदर्श ने सुझाव दिया कि यदि बॉलीवुड अपने सुनहरे दिनों को वापस लाना चाहता है, तो उसे प्रामाणिक कहानियों और दर्शकों से सच्चे जुड़ाव की ओर लौटना होगा. तकनीक और चमक-दमक के पीछे भागने के बजाय, फिल्मकारों को उन कहानियों पर ध्यान देना चाहिए जो दिल को छूए और समाज के हर वर्ग तक पहुंचें. बेशक उन्होंने कहा तो एकदम सही है क्योंकि जो हिंदी सिनेमा के मौजूदा हालात हैं, उसमें एक बार गिरेबान में झांकना तो बनता ही है.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com