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Gurunanak Jayanti के मौके पर सोनम बाजवा ने शेयर की बचपन की याद, बोलीं- वो लंगर वाली काली दाल का स्वाद...

सोनम बाजवा ने गुरु नानक जयंती पर अपनी बचपन की यादें साझा कीं. उन्होंने बताया कि लंगर की काली दाल का स्वाद आज भी उनके दिल में बसता है. एक्ट्रेस बोलीं, घर पर वही मसाले डालो, पर लंगर जैसा स्वाद कहीं नहीं मिलता.

Gurunanak Jayanti के मौके पर सोनम बाजवा ने शेयर की बचपन की याद, बोलीं- वो लंगर वाली काली दाल का स्वाद...
सोनम बाजवा ने शेयर की गुरुनानक जयंती की यादें
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नई दिल्ली:

सोनम बाजवा इन दिनों हर तरफ छाई हुई हैं. उनकी नई फिल्म एक दीवाने की दीवानियत ने दर्शकों का दिल जीत लिया है. हर जगह उनकी अदाओं और अभिनय की चर्चा है. लेकिन चमक-दमक के इस बीच भी सोनम के दिल में एक सादगी भरी दुनिया बसती है. पंजाबी फिल्मों की मशहूर एक्ट्रेस सोनम बाजवा के लिए गुरु नानक जयंती सिर्फ एक त्यौहार नहीं, बल्कि बचपन की यादों से जुड़ी एक खूबसूरत फीलिंग है. भले ही सोनम ने कभी पंजाब में नहीं रही हों, लेकिन उनकी जड़ें पूरी तरह पंजाबी कल्चर से जुड़ी हैं. आज जब देशभर में गुरु नानक जयंती मनाई जा रही है, सोनम के लिए ये दिन उनके बचपन की मीठी यादें ताजा कर रहा है.

मां की भक्ति से मिली आस्था की सीख

जब बात गुरु नानक जयंती की आती है, तो उनके चेहरे पर वही बचपन वाली मुस्कान लौट आती है. वो कहती हैं, 'मेरा जन्म उत्तराखंड में हुआ और बचपन उत्तर प्रदेश में बीता. हर साल गुरु नानक जयंती पर प्रभात फेरी में जाना, कीर्तन सुनना और कड़ा प्रसाद खाना...यही मेरी सबसे प्यारी यादें हैं'. सोनम बताती हैं कि उनकी मां अमृतधारी हैं और आज भी सेवा करती हैं, मैं उसी माहौल में बड़ी हुई हूं. सोनम के लिए गुरु नानक देव जी का संदेश सिर्फ उपदेश नहीं, बल्कि जीने का तरीका है. वो याद करती हैं कि कैसे मां सुबह-सुबह गुरुद्वारे जाती थीं, दीवान लगाती थीं और वो बचपन में उस माहौल को देखकर बस निहारती रह जाती थीं.

लंगर की काली दाल...वो स्वाद जो दिल में बस गया

बात जब लंगर की आती है, तो सोनम की आंखों में चमक आ जाती है. लंगर के खाने को याद करते हुए सोनम हंसते हुए बताती हैं कि, 'मुझे सबसे ज्यादा पसंद थी लंगर की मशहूर काली दाल और फुल्के. घर पर वही इंग्रीडिएंट डालकर बनाओ, लेकिन वो स्वाद कभी नहीं आता. शायद उस खाने में प्यार और सेवा का स्वाद घुला होता है'. उनके लिए लंगर सिर्फ भोजन नहीं, बल्कि अपनापन और एकता का प्रतीक है. वो मानती हैं कि असली खुशी तब मिलती है जब सब मिलकर बैठकर वही सादा खाना खाते हैं.

अब सेट पर मनाएंगी गुरुपुरब

इस साल सोनम पंजाब में शूटिंग में व्यस्त हैं. 'अब त्योहार वैसे नहीं रहे'. वो मुस्कुराते हुए कहती हैं. 'पहले परिवार के साथ मनाते थे, अब कैमरे और लाइटों के बीच', लेकिन उनके लिए त्योहार का अर्थ सिर्फ छुट्टी नहीं, बल्कि श्रद्धा और जुड़ाव है. वो कहती हैं, 'जब भी गुरु नानक जयंती आती है, मैं चाहे जहां भी रहूं, मन अपने आप गुरुद्वारे चला जाता है'. फिल्मों की चमक में भी सोनम के दिल की सबसे प्यारी जगह अब भी उस लंगर की काली दाल और बचपन की गुरु नानक जयंती की यादों ने घेर रखी है.

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