हिंदी के सुधी गीतकार गोपालदास नीरज (Gopaldas Neeraj) का जाना गीतों की दुनिया में एक बड़ा भूस्खलन है. वाचिक कविता में नीरज (Neeraj) का कोई सानी नहीं है. वे अपनी धुन के गीतकार थे. नीरज ऐसे गीतकार रहे हैं जिन्होंने जीवन भले ही उन्मुक्त जिया पर कविता में पूरा अनुशासन बरतते रहे. छंद, लय, अर्थ, भाव, शिल्प और समाहार----सबकी चूड़ियां कसी रहीं. हम यह न भूलें कि नीरज (GopalDas Neeraj) और बच्चन जैसे कवियों ने तमाम पीढ़ियों में कविता के रसिक पैदा किए हैं, कविता को सराहने वाली पीढ़ियां पैदा की हैं. उन्हें पढ़कर और गा-गाकर अनेक कवियों ने कविता लिखना सीखा और अपनी पहचान बनाई है. फिल्मी दुनिया में गोपालदास नीरज (Gopaldas Neeraj) राजकपूर और देवानंद जैसे अभिनेताओं के चहेते रहे.
गोपालदास नीरज (Gopaldas Neeraj) का गीतकार अभावों में पला- बढ़ा है तभी उसके कंठ में इतनी मिठास है. हूक है. इन्हीं अभावों में नीरज ने जीना सीखा तथा दुनिया को जीना सिखाया भी. अपने प्यार के लिए बदनाम भी हुए पर प्यार की पैरवी करनी नहीं छोड़ी. उनकी दृष्टि में प्यार के रसायन के बिना कुछ भी चलने वाला नहीं. जीवन का सारा कारोबार जैसे प्यार पर आधारित हो. मुहब्बत के इस राजदूत ने जीवन में प्यार की खिड़कियां खोले रखने का हर जतन संभव किया है.
गोपालदास नीरज (Gopaldas Neeraj) को विपुल काव्यसृजन के लिए लोकप्रियता तो अपार मिली, मान सम्मान, पुरस्कार सब मिले, पर वह यश नहीं मिला जो मुख्यधारा के कवियों को मिलता है. आलोचकों की दुनिया गीत और कविता में बंटवारा कर चलती रही. पर नीरज अपने प्रशंसकों के प्राणों में बसते रहे. किसी राजनीतिक बोध के साथ उन्होंने काव्यरचना नहीं की. सत्ताएं उनकी प्रशंसक रही हों, यह और बात है. अच्छा कवि सब का पसंदीदा होता है. सच्चा कवि देश-काल से परे होता है. गोपालदास नीरज (Gopaldas Neeraj) में भी शाश्वत की अनुगूंज है. उनके एक नहीं करोड़ों चाहने वाले हैं : एक नहीं, दो नहीं, करोड़ों साझी मेरे प्यार में. आइए पढ़ते हैं गोपालदास नीरज (Gopaldas Neeraj) के कुछ शेरः
1. मैं ने सोचा कि मिरे देश की हालत क्या है
एक क़ातिल से तभी मेरी मुलाक़ात हुई
2. अब के सावन में शरारत ये मिरे साथ हुई
मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई
3. जब भी इस शहर में कमरे से मैं बाहर निकला
मेरे स्वागत को हर इक जेब से ख़ंजर निकला
4. हम तिरी चाह में ऐ यार वहाँ तक पहुँचे
होश ये भी न जहाँ हैं कि कहाँ तक पहुँचे
5. ज्यूँ लूट लें कहार ही दुल्हन की पालकी
हालत यही है आज कल हिन्दोस्तान की
6. हज़ारों रतन थे उस जौहरी की झोली में
उसे न कुछ भी मिला जो अगर-मगर में रहा
7. दोस्तो नाव को अब ख़ूब सँभाले रखिए
हम ने नज़दीक ही इक ख़ास भँवर देखी है
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