
एक्टर संजीव कुमार ने 1965 में निशान के साथ लीड एक्टर के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की. लगभग 25 सालों के अपने फिल्मी करियर में वह यही है जिंदगी, राम तेरे कितने नाम, कत्ल, शिकार समेत कई फिल्मों में नजर आए. संजीव ने अपनी जिंदगी में कई अवॉर्ड जीते इनमें उनकी 1970 की फिल्म दस्तक और 1972 की फिल्म कोशिश के लिए बेस्ट एक्टर के दो नेशनल फिल्म अवॉर्ड शामिल हैं. 6 नवंबर 1985 को दिल का दौरा पड़ने की वजह से उनका निधन हो गया. 'संजीव कुमार: द एक्टर वी ऑल लव्ड' नाम से आई बायोग्राफी में लेखक ने इंडस्ट्री में उनके शुरुआती स्ट्रगल के बारे में बताया है.
यह किताब रीता राममूर्ति गुप्ता और उदय जरीवाला ने लिखी है. इस किताब में संजीव कुमार के किस्से शामिल हैं. जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी इंडियन सिनेमा को समर्पित कर दी. संजीव कुमार की जिंदगी का यह किस्सा फिल्म इंडस्ट्री में उनके शुरुआती स्ट्रगल के दिनों के बारे में बताता है. सफर की इस कड़ी में उनकी मुलाकात एक नामी फिल्म मेकर से होती है जो संजीव को लेकर एक फिल्म बनाना चाहते थे.
कैसे एक प्रोड्यूसर ने हरि (संजीव कुमार) को बस में देखकर उनकी फीस तय की
उन दिनों का एक दिलचस्प किस्सा संजीव के सबसे करीबी दोस्त सुभाष इंदौरी ने सिनेब्लिट्ज के जुलाई 1980 एडिशन में अनिल चित्रे को दिए अपने इंटरव्यू में सुनाया था. संजीव कुमार बस से सफर करते थे. तब तक उनकी पहली फिल्म निशान रिलीज हो चुकी थी. ऐसे ही एक दिन उसी बस में सवार एक प्रोड्यूसर ने उन्हें देखा. वह संजीव कुमार को पहचान गया. जैसे ही संजीव बस से उतरे वह तुरंत उनके पीछे दौड़ा और बोला कि उनके साथ एक फिल्म पर चर्चा करना चाहता हूं. उसने संजीव कुमार के घर का पता मांग लिया.
अगले दिन प्रोड्यूसर भुलेश्वर में संजीव के एक कमरे के चॉल में पहुंचे और संजीव को रसोई में सोते हुए देखा. संजीव तुरंत उठे और अपने मेहमान के लिए चाय बनाई. इसके बाद चर्चा शुरू हुई. प्रोड्यूसर ने पूछा कि उन्हें उनकी फिल्म निशान के लिए कितनी रकम मिली. संजीव ने जवाब दिया “₹25,000.”
प्रोड्यूसर हैरान हो गया और उसने संजीव से कहा लेकिन मैं आपको केवल ₹10,000 रुपये ऑफर कर सकता हूं. इस पर संजीव ने कहा, मुझे पता है. संजीव ने जवाब दिया, "जब आपने मुझे बस में सफर करते हुए देखा तो आपने “₹5,000” काट लिए और जब मैंने खुद चाय बनाकर आपको दी, तो आपने और “₹5,000” काट लिए. अब आप मुझे बाकी बची रकम ऑफर कर रहे हैं. लेकिन मेरी कीमत अभी भी ₹25,000 है." डील हो गई और संजीव कुमार को इसी कीमत पर साइन किया गया.
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