Dadasaheb Phalke's 148th Birthday: गूगल ने बनाया डूडल
नई दिल्ली:
दादासाहेब फाल्के को 'भारतीय सिनेमा का जनक (Father of Indian Cinema)' भी कहा जाता है. गूगल ने उनकी 148वीं जयंती पर डूडल बनाकर याद किया है. दादासाहेब फाल्के का जन्म 30 अप्रैल, 1870 को महाराष्ट्र के नासिक शहर में हुआ था. उनका असली नाम धुंडीराज गोविंद फाल्के था. उनके पिता शास्त्री फाल्के संस्कृत के विद्धान थे और बेहतर जिंदगी की तलाश के लिए उनका परिवार नासिक से मुंबई पहुंचा. बचपन से ही उनका रुझान कला की ओर रहा और साल 1855 में उन्होंने जे.जे.कॉलेज ऑफ आर्ट में दाखिला लिया. उन्होंने नाटक कंपनी में चित्रकार और पुरात्तव विभाग में फोटोग्राफर के तौर पर काम भी किया. जब इन सबमें उनका मन नहीं लगा तो फिल्मकार बनने का फैसला लिया और दोस्त से रुपये लेकर लंदन चले गए.
Dadasaheb Phalke ने बावर्ची को बना डाला हीरोइन, शूटिंग से पहले करना पड़ता था ये काम, गूगल ने बनाया डूडल
महिला एक्ट्रेस की तलाश में उन्होंने कोठे तक के चक्कर लगाए. आखिरकार एक भोजनालय में बावर्ची के तौर पर काम करने वाले व्यक्ति अन्ना सालुंके को फिल्म की हीरोइन के तौर पर चुना. फिल्म निर्माण से जुड़ी हर छोटी बड़ी चीज की जिम्मेदारी उन्होंने खुद उठाई और 15 हजार रुपये की लागत के साथ उनकी मराठी फिल्म का निर्माण हुआ. 3 मई, 1913 को मुंबई के कोरनेशन सिनेमा में किसी भारतीय फिल्मकार द्वारा बनाई गई पहली फिल्म 'राजा हरिश्चिंद्र' का प्रदर्शन हुआ. 40 मिनट की यह फिल्म टिकट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुई.
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लंदन में दो हफ्ते बिताए और फिल्म की बारिकियां सीखने के बाद मुंबई लौटे. यहां फाल्के फिल्म कंपनी की स्थापना की और अपने बैनर तले 'राजा हरिश्चंद्र' नामक फिल्म बनाने का निर्णय लिया. हालांकि, रास्ता इतना आसान नहीं था. पहले फिल्म के लिए फाइनेंसर नहीं मिला फिर दादासाहेब चाहते थे कि उनकी फिल्म में अभिनेत्री का किरदार कोई महिला निभाए, लेकिन किसी ने भी हामी नहीं भरी, क्योंकि उस दौर में महिलाओं का काम करना अच्छा नहीं माना जाता था.Tribute to DADASAHEB PHALKE on birth anniversary.
— Film History Pics (@FilmHistoryPic) April 30, 2018
Father of Indian cinema, born as Dhundiraj Govind Phalke at Trimbakeshwar. He produced 95 feature films & 26 short films in 19 years.
Seen here with his moving camera & with son Bhalchandra during shoot of ‘Raja Harishchandra’. pic.twitter.com/2dqca2ibme
महिला एक्ट्रेस की तलाश में उन्होंने कोठे तक के चक्कर लगाए. आखिरकार एक भोजनालय में बावर्ची के तौर पर काम करने वाले व्यक्ति अन्ना सालुंके को फिल्म की हीरोइन के तौर पर चुना. फिल्म निर्माण से जुड़ी हर छोटी बड़ी चीज की जिम्मेदारी उन्होंने खुद उठाई और 15 हजार रुपये की लागत के साथ उनकी मराठी फिल्म का निर्माण हुआ. 3 मई, 1913 को मुंबई के कोरनेशन सिनेमा में किसी भारतीय फिल्मकार द्वारा बनाई गई पहली फिल्म 'राजा हरिश्चिंद्र' का प्रदर्शन हुआ. 40 मिनट की यह फिल्म टिकट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुई.
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