दादासाहेब फाल्के पहली फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' की शूटिंग के दौरान बेटे के साथ.
नई दिल्ली:
भारतीय सिनेमा के जनक की उपाधि पाने वाले दादासाहेब फाल्के का जन्म 30 अप्रैल, 1870 को महाराष्ट्र के नासिक शहर में हुआ था. दादासाहेब फाल्के (Dadasaheb Phalke) के 148वें जन्मदिवस के मौके पर गूगल ने डूडल बनाकर उन्हें याद किया है. लंदन में फिल्म से जुड़ी बारिकियां सीखने के बाद दादासाहेब मुंबई लौटे. उन्होंने फाल्के फिल्म कंपनी की स्थापना की और अपने बैनर तले 'राजा हरिश्चंद्र' नामक फिल्म बनाने का निर्णय लिया. हालांकि, भारतीय सिनेमा की पहली फिल्म बनने के लिए उन्हें भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था.
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दादासाहेब की फिल्म पर पहले कोई पैसा लगाने को तैयार नहीं था. थोड़ी मशक्कत के बाद उन्हें फाइनेंसर मिले, लेकिन असली मुसीबत तब आई जब कोई महिला उनके साथ काम करने को तैयार नहीं थी. मराठी स्टेज एक्टर दत्तात्रेय दामोदर दाबके ने फिल्म में 'राजा हरिश्चंद्र' का किरदार निभाने के लिए हामी भरी. दादासाहेब के बेटे बालाचंद्रा ने हरिश्चंद्र के बेटे रोहितश्व का कैरेक्टर प्ले किया था. लेकिन रानी तारामति का रोल निभाने के लिए उस दौर की कोई भी महिला तैयार नहीं थी. दसअसल उस समय महिलाओं का काम करना अच्छा नहीं माना जाता था.
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारतीय सिनेमा की पहली हीरोइन एक महिला न होकर पुरुष थी. फिल्म में अन्ना सालुंके ने रानी तारावति का किरदार बखूबी निभाया. बताया जाता है कि शूटिंग से ठीक पहले अन्ना सालुंके की दाढ़ी बनाई जाती थी, ताकि उनके चेहरे के बाल कैमरे में कैद न हो.
उस दौर में फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' 15 हजार की लागत में बनी. 500 लोगों की मदद से फिल्म 7 महीने 21 दिन में बनकर तैयार हुई. 3 मई, 1913 को मुंबई के कोरनेशन सिनेमा में किसी भारतीय फिल्मकार द्वारा बनाई गई पहली फिल्म 'राजा हरिश्चिंद्र' का प्रदर्शन हुआ. 40 मिनट की यह फिल्म टिकट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुई.
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दादासाहेब की फिल्म पर पहले कोई पैसा लगाने को तैयार नहीं था. थोड़ी मशक्कत के बाद उन्हें फाइनेंसर मिले, लेकिन असली मुसीबत तब आई जब कोई महिला उनके साथ काम करने को तैयार नहीं थी. मराठी स्टेज एक्टर दत्तात्रेय दामोदर दाबके ने फिल्म में 'राजा हरिश्चंद्र' का किरदार निभाने के लिए हामी भरी. दादासाहेब के बेटे बालाचंद्रा ने हरिश्चंद्र के बेटे रोहितश्व का कैरेक्टर प्ले किया था. लेकिन रानी तारामति का रोल निभाने के लिए उस दौर की कोई भी महिला तैयार नहीं थी. दसअसल उस समय महिलाओं का काम करना अच्छा नहीं माना जाता था.
महिला एक्ट्रेस की तलाश में दादासाहेब ने कोठे तक के चक्कर लगाए, लेकिन बात न बनीं. आखिरकार एक भोजनालय में बावर्ची के तौर पर काम करने वाले व्यक्ति अन्ना सालुंके से दादासाहेब की मुलाकात हुई. अन्ना बावर्ची के तौर पर काम करके 10 रुपये कमाते थे, दादासाहेब ने उन्हें 15 रुपये देना का वादा किया और वह मान गए.
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारतीय सिनेमा की पहली हीरोइन एक महिला न होकर पुरुष थी. फिल्म में अन्ना सालुंके ने रानी तारावति का किरदार बखूबी निभाया. बताया जाता है कि शूटिंग से ठीक पहले अन्ना सालुंके की दाढ़ी बनाई जाती थी, ताकि उनके चेहरे के बाल कैमरे में कैद न हो.
Tribute to DADASAHEB PHALKE on birth anniversary.
— Film History Pics (@FilmHistoryPic) April 30, 2018
Father of Indian cinema, born as Dhundiraj Govind Phalke at Trimbakeshwar. He produced 95 feature films & 26 short films in 19 years.
Seen here with his moving camera & with son Bhalchandra during shoot of ‘Raja Harishchandra’. pic.twitter.com/2dqca2ibme
उस दौर में फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' 15 हजार की लागत में बनी. 500 लोगों की मदद से फिल्म 7 महीने 21 दिन में बनकर तैयार हुई. 3 मई, 1913 को मुंबई के कोरनेशन सिनेमा में किसी भारतीय फिल्मकार द्वारा बनाई गई पहली फिल्म 'राजा हरिश्चिंद्र' का प्रदर्शन हुआ. 40 मिनट की यह फिल्म टिकट खिड़की पर सुपरहिट साबित हुई.
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