बॉबी देओल (Boby Deol) स्टारर और प्रकाश झा (Prakash Jha) निर्देशित वेबसीरीज 'आश्रम (Aashram)' रिलीज हो गई है. धर्म के आडंबरों को तोड़ती हुई यह सीरीज एक ऐसे 'बाबा' की कहानी है, जो धर्म और सेवा की आड़ में लोगों का शोषण करता है. इस सीरीज में बॉबी देओल काशीपुर वाले 'बाबा निराला' का किरदार निभा रहे हैं, जो धर्म के नाम पर लोगों को ठगता है. वहीं, सीरीज में एक्टर चंदन रॉय सान्याल (Chandan Roy Sanyal) 'बाबा निराला' के राइट हैंड 'भूपा सिंह' का किरदार निभा रहे हैं. हाल ही में एक्टर ने एनडीटीवी से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने बताया कि सीरीज के दौरान शूटिंग का एक्सपीरियंस कैसा रहा.
एक्टर चंदन रॉय सान्याल (Chandan Roy Sanyal) ने इंटरव्यू के दौरान अपने एक्सपीरियंस के बारे में बात करते हुए बताया, "बहुत अनूठा एक्सपीरियंस रहा. झा साहब ने इतनी बड़ी-बड़ी फिल्में बनाई हैं, उनके साथ काम करने का मौका मिला और बॉबी देओल थे. बॉबी देओल (Boby Deol) जब 'बरसात' में आए थे, जब मैं स्कूल में था, 11वीं में. उस दौरान मैंने उन्हें देखा था. उनकी फिल्में काफी एंजॉय की हैं. तो यह एक्सपीरियंस काफी मजेदार रहा. 2, 3 महीने हम अयोध्या में थे. वहां पर शूटिंग की थी."
वहीं, जब चंदन (Chandan Roy Sanyal Interview) से पूछा गया कि 'भूपा सिंह' का किरदार निभाने में उनके सामने क्या चैलेंज आए, तो इस पर एक्टर ने कहा, "अपने किरदार को लेकर मैंने ऐसी ही तैयारी की थी, जैसे में रोल करता हूं. डायरेक्टर ने जैसे-जैसे मुझे इंस्ट्रक्शन दिये थे, जिस तरह से मुझे नोट्स दिए थे, मैंने उन्हें फॉलो किया. मैंने बस यही तैयारी की मैंने स्क्रिप्ट्स को पढ़ा. जो विलेन होता है उसका एक अलग सुर होता है, जनता बहुत पसंद करता है उनका चिल्लाना. बात-बात पर गुस्सा करना. मैंने सोचा कि मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगा. बस जैसे एक नॉर्मल रखते हैं. आम जिंदगी में, वैसे ही रखूंगा. तो यह सब मैंने सोच रखा था."
वहीं, जब एक्टर से पूछा गया कि धर्म के नाम पर आडंबर करने वाले और भोली-भाली जनता को बेवकूफ बनाने वाले बाबाओं को लेकर आपकी क्या राय है. इस पर चंदन (Chandan Roy Sanyal) ने कहा, "सब कोई एक जैसे नहीं होते हैं. जैसा हमारे शो में दिखाया गया है कि ये दोनों पहले से पाखंडी है. यह बहुत बड़े ज्ञानी नहीं है. ये दोनों एक रोल प्ले कर रहे हैं. लोगों को लूटना इन्होंने अपना बिजनेस बनाया हुआ है. हमारे देश में हमेशा से ये प्रथा रही है कि हर एक परिवार में एक गुरू होता है, एक स्वामी होता है, उनको सम्मान दिया जाता है. मुझे याद है कि मेरे मौसा जी और मौसी जी एक स्वामी जी को मानते थे, जो बिहार के किसी गांव में रहते थे. बस ये हो गया है कि आजकल सोशल मीडिया है, मॉर्डन जमाना है. आजकल लोग काफी परेशान भी रहते हैं. तो कुछ लोग इसी बात का फायदा भी उठाते हैं. आप स्वामी या गुरू का मानें या ना मानें. बस आप अपनी आंखें खुली रखें."
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