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This Article is From Sep 08, 2023

कोयले की खदान में फंस गए थे 65 मजदूर, एक शख्स ने इस तरह बचाई सभी की जान, पढ़ें अक्षय कुमार की 'मिशन रानीगंज' की रियल कहानी

सर्वाइवल थ्रिलर बेस्ड 'Mission Raniganj' एक रियल घटना पर बेस्ड है. इस फिल्म में अक्षय के ऑपोजिट परिणीति चोपड़ा हैं. यह फिल्म माइनिंग इंजीनियर जसवंत सिंह गिल की जिंदगी को लेकर बनी है. जो अब इस दुनिया में नहीं है.

कोयले की खदान में फंस गए थे 65 मजदूर, एक शख्स ने इस तरह बचाई सभी की जान, पढ़ें अक्षय कुमार की 'मिशन रानीगंज' की रियल कहानी
जानें वो घटना, जिस पर बनी है अक्षय कुमार की फिल्म 'मिशन रानीगंज'
नई दिल्ली:

बॉलीवुड के 'मिस्टर खिलाड़ी' अक्षय कुमार की नई फिल्म 'मिशन रानीगंज' 6 अक्टूबर को रिलीज होगी. सर्वाइवल थ्रिलर बेस्ड 'Mission Raniganj' एक रियल घटना पर बेस्ड है. इस फिल्म में अक्षय के अपोजिट परिणीति चोपड़ा हैं. ये फिल्म माइनिंग इंजीनियर जसवंत सिंह गिल की जिंदगी को लेकर बनी है. जो अब इस दुनिया में नहीं है. फिल्म में उनका किरदार अक्षय कुमार निभा रहे हैं. आइए जानते हैं वह रियल स्टोरी, जिस पर बनी है 'मिशन रानीगंज'...

कई बार बदला फिल्म का नाम

अक्षय कुमार की 'मिशन रानीगंज' का नाम कई बार बदलने के बाद रखा गया है. सबसे पहले फिल्म का नाम 'कैप्सूल गिल' रखा गया, जिसे बाद में बदलकर 'द ग्रेट इंडियन एस्केप' कर दिया गया. हालांकि, कुछ समय बाद फिर से फिल्म का नाम बदला गया और इस बार 'द ग्रेट इंडियन रेस्क्यू' रख दिया गया लेकिन कुछ समय बाद ये नाम भी मेकर्स को पसंद नहीं आया और आखिरकार 'मिशन रानीगंज नाम फाइनल तौर पर चुना गया. इस फिल्म की रिलीज डेट और नए नाम के साथ मोशन पोस्टर भी रिलीज हो चुका है. पोस्टर में अक्षय कुमार जसवंत सिंह गिल के गेटअप में काफी इंप्रेसिव दिख रहे हैं.

ये है 'मिशन रानीगंज' की असली कहानी 

'मिशन रानीगंज' 34 साल पहले हुई एक सच्ची घटना पर आधारित है. माइनिंग इंजीनियर जसवंत सिंह गिल ने 1989 में पश्चिम बंगाल में रानीगंज कोयले की खान में फंसे 65 मजदूरों को बाहर निकालकर उनकी जान बचाई थी. तब जसवंत सिंह की तैनाती वहीं थी. करीब 104 फीट गहरी रानीगंज की कोयले की खान में उस दिन करीब 232 मजदूर काम कर रहे थे. कहा जाता है कि रात में अचानक से खदान में पानी का रिसाव शुरू हो गया. जैसे-तैसे ट्रॉली की मदद से 161 मजदूरों को तो कोयले की खान से बाहर सुरक्षित निकाल लिया गया था लेकिन बाकी मजदूर अंदर ही फंसे रहे. लेकिन जसवंत सिंह गिल ने उन्हें निकालने के लिए जी जान लगा दी. उन्होंने फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए विशेष तरह का कैप्सूल बनाया. इसकी मदद से मजदूरों को बाहर लाया जा सका और उनकी जान बच गई थी. इसके बाद से ही जसवंत सिंह गिल को 'कैप्सूल गिल' के नाम से पुकारा जाने लगा था.

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