Astrology: गुरू का कुंडली के 12वें भाव में बेहतर प्रभाव देखने को मिलता है. इस भाव में ग्रह के प्रभाव से व्यक्ति काफी अच्छा कार्य करने वाला होता है, लेकिन उसमें अहं भी होता है. अहं के कारण व्यक्ति को वह यश नहीं मिलता, जो उसे मिलना चाहिए. बारहवां भाव मोक्ष, खर्च, हावि और आत्मिक उन्नति वाला भाव माना जाता है. इस भाव में ग्रह के प्रभाव से व्यक्ति अपने रिति-रिवाज और परंपराओं को काफी महत्व देता है.
गुरू के सकारात्मक प्रभाव
इस भाव में गुरू के सकारात्मक प्रभाव की बात करें तो व्यक्ति धार्मिक प्रवृत्ति वाला होता है. उसके मन में हमेशा परोपकार की भावना होती है. खास बात यह है कि व्यक्ति फिजूलखर्च से दूर ही रहता है. जातक काफी भाग्यशाली और धनवान होता है. इस भाव में गुरू के प्रभाव से जातक को ज्ञान, सौभाग्य, समृद्धि की भी प्राप्ति होती है.
गुरू के नकारात्मक प्रभाव
इस भाव में गुरू के प्रभाव से जातक लोभी और लालची होता है. ऐसे में व्यक्ति को अच्छे कार्य करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि कई बार उसे अपने कर्मों के कारण ही नुकसान उठाना पड़ता है. इस कारण उसके शत्रुओं की संख्या भी बढ़ती है. व्यक्ति निर्धन भी हो सकता है. उसके मन में दूसरे के प्रति गलत विचार भी देखने को मिल सकते हैं. अक्सर व्यक्ति कल्पना में ही रहता है और उसमें दार्शनिक प्रवृत्ति देखने को मिलती है.
वैवाहिक जीवन पर प्रभाव
कुंडली के बारहवें भाव में गुरू के प्रभाव से व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे लोगों की वैवाहिक सुख प्राप्त करने में रूचि कम देखने को मिलती है. इसका कारण यह है कि वे आध्यात्मिक प्रवृत्ति के होते हैं.
करियर पर प्रभाव
बारहवें भाव में गुरू का करियर पर भी अच्छा प्रभाव देखने को मिलता है. इस भाव में ग्रह के प्रभाव से व्यक्ति चिकित्सा के क्षेत्र में जाता है. उसकी लेखन कार्य में भी रूचि होती है. व्यक्ति को माता-पिता के जरिए भी धन का लाभ होगा. जातक को कभी भी अनाज की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा. हालांकि, व्यक्ति में सासांरिक इच्छाओं के प्रति कमी होती है और अक्सर वह धन के प्रति उदासीन भी हो सकता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)