
sasa yoga in astrology: ग्रहों के परिभ्रमण के दौरान एक राशि में दूसरी राशि में गोचर के प्रभाव से समय-समय पर विभिन्न योग का निर्माण होता है. इनमें से ही एक है शश योग. शनि को न्याय का देवता माना जाता है. ऐसे में यह कर्म के मुताबिक परिणाम देते हैं. शनि लग्न या चंद्रमा से पहले, चौथे, सातवें या दसवें भाव में तुला, मकर या कुंभ राशि में स्थित होते हैं, तो शश योग का निर्माण होता है. यह योग काफी प्रभावशाली होता है. इस योग के प्रभाव से जातक को सुख-समृद्धि मिलती है. समाज में मान-सम्मान भी मिलता है. आर्थिक स्थिति भी बेहतर होती है.
कैसे बनता है शश योग
शश योग शनि के प्रभाव से बनता है. शनि जब कुंडली में लग्न या चंद्रमा से पहले, चौथे, सातवें या दसवें भाव में होते हैं, तब शश योग का निर्माण होता है. इस योग में शनि तुला, मकर या कुंभ राशि में होते हैं. यह योग आम तौर पर शुभ फलदायी होता है, लेकिन कुछ मामलों में इसके नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं.
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शश योग के नकारात्मक प्रभाव
शश योग को आम तौर पर शुभ योग ही माना जाता है और जीवन में इसके सकारात्मक प्रभाव ही होते हैं, लेकिन कई बार इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिल सकते हैं. कई बार जातक में आत्मविश्वास की कमी देखने को मिल सकती है. पारिवारिक जीवन में भी परेशानी देखने को मिल सकती है. यब कुछ शनि की स्थिति पर निर्भर करता है. अगर शनि अशुभ स्थिति में होते हैं, तो जीवन के कई क्षेत्रों पर उसके प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिल सकते हैं.
शश योग के सकारात्मक प्रभाव
शश योग को राजयोग कहा जाता है. इस योग के कई सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं. योग के प्रभाव से जातक को समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है. इस योग के प्रभाव से जातक की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है और जीवन में समृद्धि आती है. करियर में भी सफलता हासिल होती है. इतना ही नहीं जातक का पारिवारिक जीवन भी सुख-शांति से परिपूर्ण होता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)