जब इंटरनेट स्लो था, सपने स्पीड में भाग रहे थे, कानों में वॉकमैन, दिल में लकी अली हुआ करते थे, याद है वो दौर ?

साल 2000 का वो दौर जब साइबर कैफे में लगती थीं लाइनें, जेब में नोकिया होता था और वॉकमैन पर लकी अली गूंजते थे. क्या याद है आपको वो दिन?

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
नई सदी का पहला साल... जो हमें आज भी पुराने दिनों में खींच ले जाता है

साल था 2000... मिलेनियम का पहला साल और भारत के लिए नई सदी का पहला नशा... उस वक्त ज़िंदगी इंस्टा रील्स जैसी फास्ट नहीं थी... सब कुछ धीरे-धीरे होता था, लेकिन मज़ा दोगुना था. शहरों-कस्बों में साइबर कैफे खुल गए थे... और भाईसाब, वहां की लाइनें देखकर लगता था जैसे शादी के लड्डू बंट रहे हों. किसी को ईमेल बनाना है, तो किसी को याहू चैट करना... इंटरनेट स्लो था, लेकिन एक्साइटमेंट सुपरफास्ट...'Connected' का मैसेज आते ही दिल ऐसे धड़कता जैसे आज नेटफ्लिक्स का नया एपिसोड रिलीज हुआ हो.  हम बात कर रहे हैं साल 2000 की... वो दौर जो आपको पुरानी यादों के गलियारों में ले जाएगा.

नोकिया की बीप... और वॉकमैन का स्वैग

अब बात करते हैं उस वक्त की सबसे बड़ी शान- नोकिया मोबाइल... हाथ में आते ही पूरा मोहल्ला नोटिस करता था. ब्लैक एंड व्हाइट स्क्रीन पर चलता स्नेक गेम... वो एक छोटा-सा मोबाइल, लेकिन खुशी इतनी मुट्ठी में समेटना मुश्किल था. और हां, अगर आप 20वीं सदी के बंदे हैं तो वॉकमैन की मस्ती तो आपको जरूर याद होगी. कानों में कैसेट वाला हेडफोन, बैटरी की टेंशन और गानों की दुनिया... लकी अली का ओ सनम और सोनू निगम की दीवाना सुनते हुए सड़कों पर निकलना... मतलब, स्वैग ओवरलोडेड!.

देखें Video:

सिनेमा हॉल में ऋतिक... टीवी पर सचिन

साल 2000 का सिनेमा भी किसी तूफान से कम नहीं था. ऋतिक रोशन की फिल्म 'कहो ना प्यार है' किसी धमाका से कम नहीं थी. उसे वक्त लड़कियां तो लड़कियां लड़कों का भी पहला क्रश ऋतिक रोशन बन गए थे. और उधर क्रिकेट में दादा यानी सौरव गांगुली कप्तान बनकर नए तेवर दिखा रहे थे... युवराज सिंह पहली बार मैदान में आते ही चौकों-छक्कों की बारिश कर देते थे.लेकिन जब टीवी पर सचिन तेंदुलकर बैटिंग करने आते... तो पूरा देश अपना काम छोड़कर टीवी से चिपक जाता... सचिन खेलते थे तो लगता था जैसे पूरा इंडिया खेल रहा हो.

राजनीति की गूंज... और देश की उम्मीदें

देश की राजनीति में उस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे... उनके भाषणों की गूंज लोगों के दिलों में आत्मविश्वास भर देती थी. और तभी अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन का भारत दौरा हुआ जिसे देखकर हर भारतीय को लगा- 'अब दुनिया भी हमें सीरियसली लेने लगी है'.

वो मासूम दिन... जो अब बस यादों में हैं

तो दोस्तों... साल 2000 सिर्फ एक कैलेंडर का पन्ना पलटना नहीं था... ये वो दौर था जब साइबर कैफे की बीप, नोकिया की ट्यून, वॉकमैन का म्यूजिक, सिनेमाघरों की भीड़ और क्रिकेट के मैदान का चीयर, सब मिलकर हमारी जवानी की किताब का सबसे सुनहरा चैप्टर लिख रहे थे. आज भले ही हमारी जेब में 5G है और लाइफ इंस्टा रील्स जितनी फास्ट... लेकिन सच बोलो- क्या वो दिन याद नहीं आते? जब छोटी-छोटी चीज़ें हमें इतना बड़ा मज़ा दे जाती थीं...

Advertisement

यह भी पढ़ें: पूड़ी की जगह पिज्जा... नन्ही बच्ची ने Cute अंदाज़ में बताया कैसा होना चाहिए कन्या भोज, 2 करोड़ लोगों ने देखा

बेटियों के साथ 'चौधरी' गाने पर डांस करते इस पिता ने जीता दिल, लोग बोले - लड़की के पापा होना है सबसे बड़ी खुशी

Advertisement

मंदिर से हनुमान जी उठाकर भागा बच्चा, फिर प्यार से लगाई दवा, मां डांटती रही, Video में देखें आगे क्या हुआ

Featured Video Of The Day
Air Pollution: दिवाली से पहले Delhi-NCR की हवा हुई जहरीली, सरकार ने उठाया ये कदम! | Diwali 2025
Topics mentioned in this article