बड़े सितारे. बड़ा प्रोडक्शन हाउस. बड़ा ओटीटी प्लेटफॉर्म. लेकिन सब कुछ बड़ा करने की कोशिश में 'द फेम गेम' के निर्माता एक छोटी सी बात जरूर भूल गए कि किसी वेब सीरीज को रोमांचक और दर्शकों की फेवरिट बनाने के लिए जोरदार कहानी और दिल चीर देने वाली एक्टिंग चाहिए होती है. इन दो दवाओं के साथ ही शानदार कंटेंट के दीवानों का इलाज किया जा सकता है. लेकिन माधुरी दीक्षित, संजय कपूर और मानव कौल इस कसौटी पर पूरी तरह असफल साबित होती है. एक थ्रिलर सीरीज का मसाला इसमें पूरी तरह मिसिंग रहता है, और रूपहले परदे पर एक्टिंग का जलवा दिखाने वाले सितारे इसमें एकदम डूबते से नजर आते हैं.
द फेम गेम की कहानी अनामिका आनंद की है. जो कई तरह की परेशानियों से जूझ रही है. उसका पति है जो उसे तंग करता है. उसको पसंद करने वाला एक साथी एक्टर भी है. इन सबके बीच एक दिन वह लापता हो जाती है. फिर शुरू होती है, अनामिका को ढूंढने की कोशिश. इसी कोशिश को इस सीरीज का आधार बनाया गया है. इस तरह फेम के साइड इफेक्ट्स के साथ ही एक हीरोइन की लाइफ की त्रासदियों को इस सीरीज में दिखाने की कोशिश की गई है. लेकिन बहुत ही स्वाभाविक कहानी के चलते कुछ भी बांधकर नहीं रख पाता है. एक के बाद एक पत्ते खुलते जाते हैं. वेब सीरीज का अंत भी जिज्ञासा पैदा करने में असफल रहता है. इस तरह कमजोर कहानी की वजह से सीरीज बिल्कुल भी असर डालने में नाकाम रहती है.
माधुरी दीक्षित ने जब तेजाब के साथ दस्तक दी थी, तो उन्होंने बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा दी थी. उनकी वेब सीरीज को लेकर भी कुछ ऐसी ही उम्मीद थी. लेकिन सुपरस्टार का डिजिटल डेब्यू उस मामले में निराश करता है. माधुरी दीक्षित परदे पर अनामिका के किरदारको उस तरह उकेरने में कामयाब नहीं हो पाती हैं, जिससे इस किरदार को याद रखा जा सकता. मानव कौल और संजय कपूर के किरदार भी खास प्रभावी नहीं हैं, और बिल्कुल एवरेज हैं. इस तरह एक्टिंग के मोर्चे पर भी सीरीज गच्चा खा जाती है. कुल मिलाकर एक बड़ी वेब सीरीज कोई बड़ा असर डालने में पूरी तरह असफल रहती है.
रेटिंग: 2/5 स्टार
डायरेक्टर: श्री राव
कलाकार: माधुरी दीक्षित, संजय कपूर, मानव कौल और राजश्री देशपांडे
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