अब हम इतना आगे आ चुके हैं कि यह कहना बेमानी होता जा रहा है कि सोशल मीडिया और उसके वायरल तत्वों से सावधान रहेंगे. कब कोई वायरल वीडियो और फोटो सरकार या प्रशासन के लिए सर दर्द बन जाए पता नहीं. इतनी बार इसके झूठ का पर्दाफाश हुआ है फिर भी लोग इसकी चपेट में आ जाते हैं. चपेट में आने वाले सब हैं. बस इतना ख़्याल रखिए कि एक बार चेक कीजिए. इसके आधार पर अपने गुस्से को इतनी जल्दी सार्वजनिक न करें और न ही किसी भीड़ का हिस्सा बनें. पर्याप्त कानून हैं उसी का सहारा लीजिए. लेकिन ये गलती आप ही नहीं कर रहे हैं बल्कि सभी से हो रही है. इस ग़लती का फायदा उठाकर एक खेल भी हो रहा है. जानबूझ कर ऐसे वीडियो डाले जा रहे हैं जिससे आप भड़क जाएं. उग्र हो जाएं. इस संदर्भ में दो घटनाओं का ज़िक्र करना चाहता हूं. बिहार में एक तस्वीर खूब वायरल हुई है. अर्जुन मुज़फ्फरपुर के शिवाईपट्टी थाना के शीतलपट्टी गांव का है. अर्जुन की तस्वीर के बहाने बिहार के बाढ़ की त्रासदी रेखांकित की जाने लगी. प्रशासन की उपेक्षा की बात होने लगी. वायरल करने वाले सीरीया के बच्चे अलान कुरदी से तुलना करने लगे जिसका पार्थिव शरीर टर्की के समंदर किनारे मिला था. तस्वीर वायरल करने वालों को पूरी रिपोर्ट से मतलब नहीं था. सिर्फ एक तस्वीर इस फोन से उस फोन से होते हुए लाखो लोगों तक पहुंच रही थी. मनीष कुमार ने जब पड़ताल की तो कई तरह की बातें सामने आने लगीं.