अब मैं आपसे समाज की एक बहुत ही विचित्र सोच और स्थिति के बारे में बात करने जा रहा हूं।आपने ने भी इसे महसूस किया होगा। पिछले कुछ सालों में घर हो या बाहर हर जगह आपको लोग फोन की स्क्रीन पर झुके हुए दिखते हैं। एडिक्शन इतना ज्यादा है कि कुछ लोग तो गाड़ी चलाते हुए भी फोन देखते रहते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि स्क्रीन में दिखाने वाली चीजों में सम्मोहन होता है। आदमी को वक्त का पता नहीं चलता और रील दर रील वक्त रेत की तरह गुजर जाता है। ये तस्वीर का एक हिस्सा है। दूसरा हिस्सा वो है जो एडेक्टिव कंटेंट तैयार करते हैं। मतलब कंटेंट क्रिएटर। देश में इसवक्त जिसके पास भी फोन है वो एक अच्छे कंटेंट की फिराक में रहता है।कुछ लोग इससे अपने एकाउंट की शोभा बढ़ाते हैं तो कुछ लोग पैसा कमाते है। और कुछ फालोअर बढ़ाते हैं ताकि ज्यादा फॉलोअर देखकर उन्हें विज्ञापन करने का मौका मिल सके। कुल मिला कर सब पैसा और प्रसिद्धी का गेम है। कंटेंट क्रिएटर लाइक्स के लिए डिसलाइक होने वाला काम करने लगे हैं। सबसे ज्यादा जोर विनाश की तस्वीरें इकट्ठा करने पर रहता है।हालत ऐसी हो गयी है कि जैसे ही कहीं विनाश का वीडियो होता है क्रिएटर्स खुशी से झूमने लगते हैं। ये दुखद है लेकिन सच है। वक्त आ गया है कि सोशलमीडिया के सभी प्लेटफॉर्म्स पर डिसलाइक और सुपर डिसलाइक का बटन बनना चाहिए।