आज लोकसभा आम दिनों से अलग थी। सरकार कई बडे़ और निर्णायक बिल लाने की तैयारी में थी। तो विपक्ष उनके विरोध के लिए लामबंद हो रहा था। लोकसभा शुरू हुई तो अमित शाह ने तीन बिल की भूमिका रखी। सबसे अहम था करप्शन पर कट्टर प्रहार की गारंटी देने वाला बिल। लेकिन सदन में उसके पुर्जे-पुर्जे उड़ा दिए गए। विरोध ठीक है लेकिन अगर जनहित का कोई कानून है तो रुक कर उसके सही गलत पर विचार भी तो करना भी सांसदों की ही जिम्मेदारी है। लेकिन नहीं। संसद की नियति हंगामा हो गयी है। खैर जो इसके बीच से भी निकल कर कानून बन सकता है उसमें आपके लिए क्या है वो भी देखिए