पेट्रोल और डीज़ल के बढ़ते दामों के कारण लोग भोजन और दवा पर कम ख़र्च करने लगे हैं. भारतीय स्टेट बैंक की आर्थिक शाखा के एक अध्ययन के मुताबिक लोगों के कुल ख़र्चे में पेट्रोल पर होने वाला ख़र्च काफी बढ़ गया है और महीने का राशन भी कम ख़रीद रहे हैं. महंगाई के इस मुश्किल दौर को ठीक से दर्ज नहीं किया जा रहा है. आख़िर सरकार इस पर बात क्यों नहीं कर रही है? देश को सुशांत सिंह राजपूत के जैसे फर्ज़ी मुद्दे की तलाश है जिसे लेकर तीन महीने तक बहस होती रहे, जब ऐसा मुद्दा नहीं आ जाता, तब मंत्रिमंडल विस्तार तो कभी आबादी नियंत्रण से काम चलाया जा रहा है.