एक आदमी, जो अपनी लग्जरी कार में रोजाना शहर की सड़कों पर घूमता था, ने देखा कि एक परिवार स्कूटर पर बेहद सघनता से यात्रा कर रहा है। माता-पिता और बच्चे स्कूटर में एक-दूसरे के बीच ऐसे सजे थे जैसे सैंडविच में भरवां। यह देखकर उस आदमी के दिल में Compassion जाग उठा। उसने सोचा कि कितना अच्छा होता अगर उनके पास एक छोटी कार होती, जिसमें वे आराम से बैठ सकें और धूल-बारिश से बचे रहें। इसी सोच ने उसे सस्ती कार बनाने का सपना देखने पर मजबूर किया। वह व्यक्ति था रतन नवल टाटा (Ratan Naval Tata), जिन्होंने अपने इस सपने को कई बार साझा किया। रतन टाटा (Ratan Tata Launched Tata Nano) ने 10 जनवरी 2008 को दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित दिल्ली ऑटो एक्सपो में टाटा नैनो (Tata Nano) को लोगों के सामने प्रदर्शित किया. टाटा नैनो के बेसिक मॉडल की कीमत रखी गई थी, एक लाख रुपये (Tata Nano Price). इस अवसर पर रतन टाटा ने अपना सपना दोहराते हुए कहा था कि वो भारतीय परिवारों को कम कीमत में ट्रांसपोर्ट का एक बेहतर माध्यम उपलब्ध कराना चाहते हैं.