कहते हैं कि पैसा लोगों के सिर पर चढ़कर बोलता है लेकिन जिस शख्स ने टाटा ग्रुप को टकसाल में बदल दिया था, उस रतन टाटा के ऊपर ना पैसे का प्रभाव था, ना पावर का। रतन टाटा काम को घंटों में बांधकर नहीं देखते और ना ही अपने रूतबे को अपने आसपास फैले आडंबर से। उसका ही नतीजा है कि भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित हो चुके रतन टाटा आज अपने परोपकारी सोच और सादगीपूर्ण सरल जिंदगी के लिए याद किए जा रहे हैं ये रिपोर्ट देखिए.